सैटेलाइट ने खोला ग्रीनलैंड की सुनामी का राज
धरती के सबसे बर्फीले कोनों में से एक, ग्रीनलैंड में एक ऐसी घटना घटी जिसने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया। यहाँ एक 650 फीट (करीब 200 मीटर) ऊंची ‘मेगा-सुनामी’ ने दस्तक दी। यह लहर इतनी विशाल थी कि इसने एक संकरी खाड़ी के पानी को 9 दिनों तक हिलाकर रख दिया।
यह कोई आम सुनामी नहीं थी, जो भूकंप से पैदा होती है। बल्कि, यह एक विशाल भूस्खलन का नतीजा थी। इस पूरी घटना का खुलासा हाल ही में जारी हुए सैटेलाइट डेटा से हुआ है, जिसने एक छुपे हुए प्राकृतिक रहस्य से पर्दा उठाया है।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना पिछले साल 16 सितंबर 2023 को ग्रीनलैंड के डिक्सन फ्योर्ड में हुई थी। फ्योर्ड यानी पहाड़ों के बीच समुद्र के पानी का संकरा रास्ता। यहाँ पहाड़ का एक बहुत बड़ा हिस्सा टूटकर सीधे पानी में जा गिरा।
वैज्ञानिकों के अनुसार, लगभग 4.3 मिलियन क्यूबिक मीटर चट्टान और मिट्टी का मलबा पहाड़ से खिसका था। इस जबरदस्त टक्कर ने पानी में एक दैत्याकार लहर पैदा कर दी, जिसकी शुरुआती ऊंचाई 650 फीट तक पहुंच गई।
कैसे हुआ इस रहस्यमयी घटना का खुलासा?
यह घटना दुनिया की नजरों से लगभग अदृश्य रहती, अगर उस समय वहां नासा के SWOT (सरफेस वॉटर एंड ओशन टोपोग्राफी) उपग्रह का मौजूद न होता। इस उपग्रह ने पूरी घटना को अपने यंत्रों में कैद कर लिया।
यह एक खुशनसीबी थी कि सैटेलाइट उसी समय उस क्षेत्र के ऊपर से गुजर रहा था। जब वैज्ञानिकों ने बाद में डेटा का विश्लेषण किया, तो वे आश्चर्यचकित रह गए। डेटा ने दिखाया कि सुनामी की ऊर्जा ने खाड़ी के पानी को कैसे प्रभावित किया।
सैटेलाइट डेटा ने क्या दिखाया?
डेटा से पता चला कि विशाल लहर पैदा होने के बाद, खाड़ी का पानी शांत नहीं हुआ। इसके बजाय, यह एक विशालकाय बाथटब की तरह 9 दिनों तक लगातार आगे-पीछे होता रहा। इस प्रक्रिया को ‘स्लॉशिंग’ (sloshing) कहते हैं।
उदाहरण के लिए, जैसे आप बाल्टी में पानी भरकर उसे हिला दें, तो पानी कुछ देर तक हिलता रहता है। ठीक वैसे ही, डिक्सन फ्योर्ड में सुनामी की ऊर्जा 9 दिनों तक पानी को अशांत बनाए रखी।
इस ‘मेगा-सुनामी’ का कारण क्या था?
विशेषज्ञ इस घटना को सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देख रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्रीनलैंड की बर्फ तेजी से पिघल रही है। पिघलती बर्फ पहाड़ों की ढलानों को अस्थिर कर रही है।
स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के भूभौतिकीविद् डेविड सैंडवेल के मुताबिक, जैसे-जैसे ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं, वे पहाड़ों को मिलने वाला सहारा भी हटा रहे हैं। नतीजतन, भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है, जो इस तरह की सुनामी पैदा कर सकता है।
भविष्य के लिए क्या हैं इसके मायने?
यह घटना भविष्य के लिए एक बड़ी चेतावनी है। यह दिखाती है कि ध्रुवीय क्षेत्रों में भूस्खलन से उत्पन्न सुनामी एक गंभीर और अनदेखा खतरा है। ये लहरें तटीय इलाकों और शिपिंग रूट्स के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती हैं।
SWOT जैसे सैटेलाइट इस तरह के खतरों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अंततः, यह खोज हमें याद दिलाती है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव हमारी सोच से कहीं ज्यादा अप्रत्याशित और विनाशकारी हो सकते हैं। हमें इन संकेतों को गंभीरता से लेना होगा।