दुबई का अनपेड इंटर्नशिप ऑफर: IIM छात्रों पर छिड़ी बहस
नई दिल्ली: दुबई में काम कर रहे एक व्यक्ति की लिंक्डइन पोस्ट ने भारी बवाल खड़ा कर दिया है। इस पोस्ट में भारत के शीर्ष IIM के छात्रों को एक प्रोजेक्ट के लिए आमंत्रित किया गया था। लेकिन यह प्रोजेक्ट बिना सैलरी का था। वास्तव में, इस अनपेड इंटर्नशिप विवाद ने सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। लोग इसे प्रतिभा का अपमान और शोषण बता रहे हैं।
सोहम भट्टाचार्य नामक व्यक्ति ने यह पेशकश की थी। उन्होंने कहा कि यह अवसर छात्रों को बेहतरीन अनुभव देगा। इसके अलावा, उन्हें एक सर्टिफिकेट भी मिलेगा। लेकिन IIM छात्रों जैसे उच्च कैलिबर वाले प्रोफेशनल्स को मुफ्त काम का ऑफर देना लोगों को रास नहीं आया। यह लिंक्डइन पर बहस का सबसे बड़ा कारण बना।
दुबई विवाद का मुख्य कारण क्या था?
इस पूरे मामले में विवाद की जड़ मुफ्त में काम कराने की मानसिकता है। इस कारण, यूजर्स ने सोहम को जमकर ट्रोल किया। लोगों का तर्क था कि IIM में प्रवेश पाना बेहद मुश्किल होता है। ये देश के सबसे प्रतिभाशाली दिमाग होते हैं। उनसे मुफ्त में काम की उम्मीद करना पूरी तरह से अनुचित है।
उदाहरण के लिए, एक यूजर ने लिखा कि जो कंपनी दुबई में काम कर रही है, वह इंटर्न्स को भुगतान क्यों नहीं कर सकती? लोगों ने इसे कॉर्पोरेट लालच का प्रतीक बताया। उनका मानना था कि यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। बल्कि यह उनके कौशल का अवमूल्यन भी है।
आलोचना के बाद सोहम की सफाई
भारी आलोचना के बाद सोहम भट्टाचार्य ने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी। हालांकि, उन्होंने एक स्पष्टीकरण जारी किया। उन्होंने कहा कि यह कोई इंटर्नशिप नहीं थी। यह सिर्फ एक 4 घंटे का लाइव प्रोजेक्ट था। इसका उद्देश्य छात्रों को वास्तविक दुनिया का अनुभव देना था।
लेकिन वास्तव में, उनकी सफाई से ज्यादा असर नहीं हुआ। तब तक यह मामला तूल पकड़ चुका था। कई लोगों ने उनकी मंशा पर सवाल उठाए। उनका मानना था कि आलोचना के डर से कहानी को बदला जा रहा है। यह घटना कंपनियों द्वारा अपनाए जाने वाले तरीकों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
इसलिए, यह घटना सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित नहीं है। यह भारत में बढ़ते अनपेड इंटर्नशिप विवाद की संस्कृति को दर्शाती है। कई कंपनियां अनुभव के नाम पर छात्रों का शोषण करती हैं। वे प्रतिभाशाली युवाओं से मुफ्त में काम कराकर अपना मुनाफा बढ़ाती हैं।
अवसर या शोषण: एक बड़ा सवाल
यदि कोई प्रोजेक्ट सच में सीखने का अवसर देता है, तो क्या वह हमेशा भुगतान वाला होना चाहिए? यह एक जटिल सवाल है। कुछ लोग मानते हैं कि शुरुआती अनुभव पैसे से ज्यादा कीमती है। वे इसे सीखने की एक लागत के रूप में देखते हैं।
इस मामले पर अधिक जानकारी के लिए आप प्रोफेशनल नेटवर्क लिंक्डइन पर चल रही बहसों को देख सकते हैं। अंततः, सोहम भट्टाचार्य की पोस्ट ने एक जरूरी मुद्दे को सबके सामने ला दिया है। यह कंपनियों और छात्रों, दोनों के लिए एक चेतावनी है। कंपनियों को प्रतिभा का सम्मान करना सीखना होगा। वहीं, छात्रों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा।