Tuesday, June 17, 2025
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    Panipat में Fake Hospital पर छापा

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    हरियाणा के पानीपत में स्वास्थ्य व्यवस्था को शर्मसार करने वाला एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री उड़नदस्ते (CM Flying Squad) ने एक फर्जी अस्पताल का भंडाफोड़ किया है, जिसे 12वीं पास दो युवक ‘डॉक्टर’ बनकर चला रहे थे। इस अवैध अस्पताल में न केवल मरीजों को भर्ती किया जा रहा था। बल्कि पानीपत के फर्जी अस्पताल में मौके से एक्सपायरी दवाएं और एक अवैध लैब भी मिली है। जो सीधे तौर पर मरीजों की जान से खिलवाड़ है।

    पानीपत में सेहत का गोरखधंधा: 12वीं पास चला रहे थे अस्पताल

    पानीपत: औद्योगिक शहर पानीपत में मरीजों की जान के साथ हो रहे एक बड़े खिलवाड़ का पर्दाफाश हुआ है। यहां सन्नौली रोड पर ‘आरोग्यम हॉस्पिटल’ के नाम से चल रहे एक **फर्जी अस्पताल** पर CM फ्लाइंग और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने छापा मारकर उसे सील कर दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस अस्पताल के संचालक, जो खुद को डॉक्टर बताते थे, केवल 12वीं पास हैं।

    यह घटना शहर की स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है कि कैसे बिना किसी डिग्री और लाइसेंस के एक पूरा अस्पताल चल रहा था और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।

    कैसे हुआ इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश?

    मुख्यमंत्री उड़नदस्ते को एक गुप्त सूचना मिली थी कि पानीपत की सन्नौली रोड पर स्थित आरोग्यम अस्पताल बिना किसी पंजीकरण और योग्य डॉक्टरों के चलाया जा रहा है। सूचना की गंभीरता को देखते हुए CM फ्लाइंग के डीएसपी एजाज बसर के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया।

    इस टीम में जिला स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमओ डॉ. अमित कुमार और ड्रग कंट्रोल ऑफिसर विजय राजे को भी शामिल किया गया। टीम ने पूरी तैयारी के साथ अस्पताल पर छापा मारा तो वहां का मंजर देखकर अधिकारी भी हैरान रह गए।

    छापेमारी के दौरान क्या-क्या मिला?

    संयुक्त टीम जब अस्पताल के अंदर पहुंची, तो वहां स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर एक जानलेवा गोरखधंधा चल रहा था। जांच के दौरान निम्नलिखित चौंकाने वाले तथ्य सामने आए:

    अयोग्य संचालक: उत्तर प्रदेश के रहने वाले दो युवाओं – इम्तियाज और आसिफ – द्वारा एक अस्पताल का संचालन किया जा रहा था। जांच में पता चला कि दोनों केवल बारहवीं कक्षा तक पढ़े-लिखे हैं और उनके पास किसी भी प्रकार की मेडिकल योग्यता नहीं है।

    अवैध रूप से भर्ती मरीज: छापेमारी के वक्त अस्पताल में 5 मरीज भर्ती पाए गए, जिनका इलाज ये फर्जी डॉक्टर कर रहे थे।

    बिना लाइसेंस की फार्मेसी: अस्पताल के अंदर ही एक मेडिकल स्टोर भी चल रहा था, जिसके पास कोई लाइसेंस नहीं था।

    एक्सपायरी दवाएं: फार्मेसी से भारी मात्रा में एक्सपायर हो चुकी दवाएं और इंजेक्शन बरामद हुए, जिनका इस्तेमाल मरीजों पर किया जा सकता था।

    अवैध पैथोलॉजी लैब: अस्पताल में खून और अन्य जांचों के लिए एक अवैध लैब भी स्थापित की गई थी, जिसकी रिपोर्ट की विश्वसनीयता शून्य थी।

    कोई पंजीकरण नहीं: अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के पास पंजीकृत नहीं था और न ही इसके संचालन के लिए कोई कानूनी अनुमति ली गई थी।

    मरीजों की जान से सीधा खिलवाड़

    यह मामला सिर्फ धोखाधड़ी का नहीं, बल्कि सीधे तौर पर लोगों की जान से खिलवाड़ का है। डिप्टी सीएमओ डॉ. अमित कुमार ने बताया कि भर्ती मरीजों को तुरंत पानीपत के सिविल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है ताकि उनका सही इलाज हो सके।

    उन्होंने कहा कि बिना किसी डिग्री के इलाज करना और एक्सपायरी दवाएं देना किसी की भी जान ले सकता है। यह एक बेहद गंभीर अपराध है।

    प्रशासन की बड़ी कार्रवाई

    फर्जी अस्पताल

    छापेमारी के बाद स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अस्पताल को सील कर दिया। दोनों फर्जी डॉक्टरों, इम्तियाज और आसिफ, के खिलाफ संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।

    ड्रग कंट्रोल ऑफिसर ने भी अवैध फार्मेसी और एक्सपायरी दवाओं को लेकर अलग से कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रशासन अब यह भी जांच कर रहा है कि यह गोरखधंधा कब से चल रहा था और इसमें और कौन-कौन लोग शामिल हैं।

    एक बड़ा सवाल: सिस्टम में कहां है चूक?

    पानीपत में इस फर्जी अस्पताल का पकड़ा जाना एक बड़ी कामयाबी है, लेकिन यह हमारे सिस्टम की कमजोरियों को भी उजागर करता है। सवाल यह है कि एक पूरा अस्पताल बिना किसी पंजीकरण के मुख्य सड़क पर कैसे चल सकता है? क्या स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित रूप से निरीक्षण नहीं किए जाते?

    यह घटना उन गरीब और भोले-भाले लोगों के लिए एक चेतावनी है जो सस्ते इलाज के चक्कर में ऐसे अवैध क्लिनिक और अस्पतालों के जाल में फंस जाते हैं।

    निष्कर्ष: निगरानी बढ़ाने की सख्त जरूरत

    CM फ्लाइंग की यह कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए एक मजबूत और नियमित निगरानी तंत्र की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह अपने क्षेत्र के सभी निजी अस्पतालों और क्लिनिकों का समय-समय पर औचक निरीक्षण करे। आम नागरिकों को भी जागरूक होना होगा और किसी भी संदिग्ध स्वास्थ्य केंद्र की सूचना तुरंत अधिकारियों को देनी होगी। लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ ऐसी ही सख्त कार्रवाई भविष्य में भी जारी रहनी चाहिए।

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