केरल का सबसे बड़ा विमान हादसा: जब दो टुकड़ों में बंट गया था विमान
केरल के इतिहास में हवाई दुर्घटना का जिक्र आते ही एक तारीख जहन में आती है। वह तारीख 7 अगस्त 2020 की है। इस दिन कोझिकोड में एक भयानक विमान हादसा हुआ था। यह राज्य के सबसे भयावह हवाई हादसों में से एक माना जाता है। इसलिए, केरल का यह सबसे बड़ा विमान हादसा आज भी लोगों को सिहरा देता है। इस दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
यह एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट 1344 थी। विमान दुबई से यात्रियों को लेकर आ रहा था। दरअसल, यह उड़ान कोरोना महामारी के दौरान चलाए गए ‘वंदे भारत मिशन’ का हिस्सा थी। इसके तहत विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाया जा रहा था। इस कारण, विमान में यात्री पूरी तरह से भरे हुए थे।
कोझिकोड विमान दुर्घटना: उस मनहूस दिन की पूरी कहानी
7 अगस्त 2020 की शाम का वक्त था। एयर इंडिया एक्सप्रेस का बोइंग 737 विमान कोझिकोड एयरपोर्ट पर उतरने की तैयारी कर रहा था। उस समय वहां बहुत तेज बारिश हो रही थी। इसके अलावा, खराब मौसम के कारण दृश्यता भी काफी कम थी। पायलट ने विमान को सुरक्षित उतारने की पूरी कोशिश की। हालांकि, पहली कोशिश में वह सफल नहीं हो सके।
इसके बाद, पायलट ने दूसरी बार लैंडिंग का प्रयास किया। लेकिन वास्तव में, इस बार भी हालात काबू में नहीं आए। विमान रनवे पर उतरने के बाद फिसल गया। वह रनवे को पार करते हुए आगे निकल गया। अंततः, विमान लगभग 35 फीट गहरी खाई में जा गिरा। टक्कर इतनी जोरदार थी कि विमान दो टुकड़ों में टूट गया।
टेबलटॉप रनवे बना दुर्घटना की बड़ी वजह?
कोझिकोड एयरपोर्ट का रनवे एक ‘टेबलटॉप रनवे’ है। इसका मतलब है कि यह एक पठार या पहाड़ी के ऊपर बना है। ऐसे रनवे के दोनों किनारों पर गहरी खाई होती है। इसलिए, यहां विमान उतारना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। खराब मौसम में यह काम और भी मुश्किल हो जाता है।
जांच में यह बात सामने आई कि भारी बारिश एक बड़ा कारण थी। बारिश के कारण रनवे पर पानी भरा हुआ था। इस वजह से विमान के पहिए रनवे पर सही पकड़ नहीं बना सके। यदि रनवे सामान्य होता, तो शायद हादसा इतना गंभीर न होता। लेकिन टेबलटॉप रनवे होने के कारण विमान को रुकने के लिए अतिरिक्त जगह नहीं मिली।
आग न लगना बना सैकड़ों लोगों के लिए वरदान
इस भयानक हादसे में एक बात ने कई जानें बचा लीं। विमान दो टुकड़ों में टूटने के बावजूद उसमें आग नहीं लगी। आमतौर पर ऐसे हादसों में विमान में आग लग जाती है। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। इस कारण, बचाव अभियान तेजी से चलाया जा सका। फंसे हुए लोगों को विमान से बाहर निकालना संभव हो पाया।
इस दुर्घटना में दोनों पायलटों समेत 21 लोगों की दुखद मौत हो गई थी। वहीं, 100 से अधिक यात्री गंभीर रूप से घायल हुए थे। विमान में कुल 190 लोग सवार थे। इनमें 184 यात्री और 6 क्रू सदस्य शामिल थे। अगर विमान में आग लग जाती, तो मृतकों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती थी।
क्या यह केरल का एकमात्र बड़ी हवाई दुर्घटना था?
हालांकि कोझिकोड हादसा केरल के सबसे बड़े विमान हादसों में से एक है, लेकिन यह एकमात्र नहीं है। इससे पहले साल 1988 में भी एक बड़ी विमान दुर्घटना हुई थी। तब इंडियन एयरलाइंस का एक विमान अष्टमुडी झील में गिर गया था। उस हादसे में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
अंततः, कोझिकोड विमान दुर्घटना ने हवाई सुरक्षा नियमों पर एक नई बहस छेड़ दी। विशेष रूप से टेबलटॉप रनवे वाले हवाई अड्डों पर सुरक्षा मानकों को और सख्त करने की मांग उठी। यह हादसा एक सबक था, जिसने हमें हवाई यात्रा की चुनौतियों के प्रति फिर से सचेत किया।