हैदराबाद: तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने कई मठों को भूमि संबंधी नोटिस जारी किए हैं। इस कदम से एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कई मठ इसे टीटीडी की मनमानी कार्रवाई बता रहे हैं। हालांकि, टीटीडी ने इस पर अपना पक्ष साफ कर दिया है। उसका कहना है कि यह कार्रवाई किसी मनमानी के तहत नहीं हुई है। बल्कि, यह पूरी तरह से अदालत के आदेश का पालन है।
टीटीडी भूमि नोटिस के पीछे की असली वजह क्या है?
यह पूरा मामला अदालत के एक निर्देश से जुड़ा है। अदालत ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को आदेश दिया था। आदेश में मठों को आवंटित भूमि की जांच करने को कहा गया था। जांच का मुख्य बिंदु अतिक्रमण का पता लगाना था। इसके अलावा, जमीन के व्यावसायिक उपयोग की भी जांच होनी थी।
यदि कोई मठ आवंटित भूमि से ज्यादा पर निर्माण करता है, तो वह अतिक्रमण है। या फिर, धार्मिक कार्यों के लिए मिली जमीन पर व्यावसायिक गतिविधियां चलाता है, तो यह नियमों का उल्लंघन है। इसी कारण, टीटीडी ने सर्वेक्षण के बाद संबंधित मठों को नोटिस भेजा है। यह कानूनी प्रक्रिया का पहला कदम है।
टीटीडी का स्पष्टीकरण: मठों को डरने की जरूरत नहीं
टीटीडी के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि मठों को खाली कराने का कोई इरादा नहीं है। नोटिस का एकमात्र उद्देश्य भूमि के उपयोग को नियमित करना है। कई मठ दशकों से तीर्थयात्रियों की सेवा कर रहे हैं। टीटीडी उनके योगदान का सम्मान करता है।
हालांकि, नियमों का पालन करना भी उतना ही जरूरी है। अधिकारियों का कहना है कि जो मठ नियमों के अनुसार चल रहे हैं, उन्हें बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है। यह नोटिस केवल उन लोगों के लिए है, जिन्होंने भूमि उपयोग के नियमों को तोड़ा है।
अतिक्रमण और व्यावसायिक गतिविधियां जांच के दायरे में
जांच में कुछ मुख्य बातें सामने आई हैं। उदाहरण के लिए, कुछ जगहों पर आवंटित भूमि से बाहर निर्माण पाया गया। वहीं कुछ मामलों में, मठ की जमीन पर दुकानें और होटल चलाए जा रहे थे। यह सीधे तौर पर आवंटन की शर्तों का उल्लंघन है।
इसलिए, टीटीडी ने ऐसे मामलों में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह कार्रवाई पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है। यदि आप भूमि अतिक्रमण से जुड़े कानूनी पहलुओं को समझना चाहते हैं, तो आप हमारा यह लेख पढ़ सकते हैं: अतिक्रमण हटाने की कानूनी प्रक्रिया क्या है?। (यह एक आंतरिक लिंक/Internal Link है)
आगे की प्रक्रिया और मठों का भविष्य
नोटिस मिलने के बाद मठों को अपना पक्ष रखने का समय दिया गया है। उन्हें यह साबित करना होगा कि उनकी गतिविधियां नियमों के तहत हैं। इसके बाद टीटीडी हर मामले की अलग-अलग समीक्षा करेगा। अंततः, कानून के अनुसार ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
टीटीडी का कहना है कि वह बातचीत के लिए हमेशा तैयार है। इस मुद्दे पर और विस्तृत जानकारी के लिए आप OneIndia की यह रिपोर्ट भी देख सकते हैं। (यह एक बाहरी लिंक/Outbound Link है)। संक्षेप में, यह कार्रवाई मठों के खिलाफ नहीं, बल्कि नियमों को लागू करने के लिए है।