दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके, हरियाणा में था केंद्र।
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। यह झटके देर रात आए। धरती कांपते ही लोगों में दहशत फैल गई। कई लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। इस कारण, कुछ देर के लिए अफरातफरी का माहौल बन गया। इस भूकंपीय गतिविधि ने एक बार फिर सबको डरा दिया है।
यह झटके दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम में भी लगे। हरियाणा के कई इलाकों में भी इसका असर देखा गया। इसके अलावा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी कंपन की खबर है। भूकंप की तीव्रता काफी तेज महसूस की गई।
रिक्टर स्केल पर 4.4 तीव्रता, हरियाणा में था केंद्र
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) ने बताया कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.4 मापी गई। इसका उपकेंद्र हरियाणा में भूमिगत 10 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। भूकंप का केंद्र दिल्ली से ज्यादा दूर नहीं था। इसलिए, दिल्ली-एनसीआर में इसके झटके काफी तेज महसूस हुए।
एनसीएस के अनुसार, भूकंप का सटीक समय रात करीब 9:08 बजे था। हालांकि, झटकों के बाद किसी भी तरह के नुकसान की तत्काल कोई खबर नहीं है। प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है। अंततः, लोगों को घबराने की बजाय सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
दहशत में घरों से बाहर भागे लोग
भूकंप आते ही ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग डर गए। वे तुरंत सीढ़ियों से नीचे की ओर भागे। उदाहरण के लिए, नोएडा और गुरुग्राम की कई सोसायटियों में लोग पार्कों में जमा हो गए। वे आफ्टरशॉक्स की आशंका से डरे हुए थे।
सोशल मीडिया पर भी भूकंप ट्रेंड करने लगा। लोग एक-दूसरे से झटके महसूस होने की पुष्टि कर रहे थे। लेकिन वास्तव में, कुछ ही मिनटों में स्थिति सामान्य होने लगी। लोग धीरे-धीरे अपने घरों में वापस लौटने लगे।
क्यों आता है दिल्ली-एनसीआर में बार-बार भूकंप?
दिल्ली-एनसीआर सिस्मिक जोन-4 के अंतर्गत आता है, जो भूकंपीय रूप से अत्यधिक सक्रिय क्षेत्र माना जाता है। इस क्षेत्र के नीचे कई फॉल्ट लाइनें स्थित हैं, जो भूकंप के खतरे को और बढ़ाती हैं।
इन फॉल्ट लाइनों में होने वाली हलचल से भूकंप आते हैं। भूकंप के दौरान सुरक्षा उपायों को जानना बहुत जरूरी है। यदि हम तैयार रहें, तो नुकसान को कम कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयन बेल्ट में तनाव बढ़ रहा है। इसका असर दिल्ली-एनसीआर पर भी पड़ता है। भूकंप से जुड़ी आधिकारिक जानकारी के लिए हमेशा राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र की वेबसाइट देखें।