होर्मुज जलडमरूमध्य का संकट: भारत की तेल आपूर्ति पर मंडराया खतरा
मध्य-पूर्व में तनाव फिर बढ़ गया है। ईरान की संसद ने एक बेहद अहम बिल को मंजूरी दे दी है। यह बिल सरकार को होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने का अधिकार देता है। इसलिए, होर्मुज जलडमरूमध्य का संकट अब गहरा गया है। इस फैसले ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों में खलबली मचा दी है। इसका सीधा असर भारत पर पड़ सकता है।
ईरानी संसद का यह फैसला इजरायल का समर्थन करने वाले देशों के जहाजों पर लागू होगा। यह कदम वैश्विक भू-राजनीति में एक बड़ा मोड़ है। इस कारण, भारत पर असर पड़ना लगभग तय है। तेल की बढ़ती कीमतें और आपूर्ति में बाधा जैसी चुनौतियां सामने आ सकती हैं। यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
होर्मुज जलडमरूमध्य क्यों है इतना अहम?
होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ता है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है। वास्तव में, यह वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की जीवन रेखा है। दुनिया का लगभग 20% से 30% समुद्री तेल व्यापार इसी रास्ते से होता है।
उदाहरण के लिए, सऊदी अरब, इराक, यूएई और कुवैत जैसे बड़े तेल उत्पादक देश इसी मार्ग का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, कतर से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) का बड़ा हिस्सा भी यहीं से गुजरता है। यदि यह मार्ग बंद होता है, तो पूरी दुनिया में ऊर्जा संकट पैदा हो जाएगा।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर सीधा खतरा
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। हमारी ऊर्जा जरूरतें काफी हद तक आयात पर निर्भर करती हैं। होर्मुज की नाकाबंदी भारत के लिए एक बुरे सपने जैसी होगी। इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
तेल आपूर्ति में आएगी बड़ी बाधा
भारत अपने कच्चे तेल का एक बड़ा हिस्सा मध्य-पूर्व से खरीदता है। इराक और सऊदी अरब हमारे प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से हैं। इन देशों से आने वाले जहाज होर्मुज जलडमरूमध्य से ही गुजरते हैं। हालांकि, यदि यह मार्ग बंद होता है, तो जहाजों को लंबा और महंगा रास्ता अपनाना होगा।
इससे न केवल शिपिंग लागत बढ़ेगी, बल्कि आपूर्ति में भी देरी होगी। लेकिन वास्तव में, यह भारत के रणनीतिक तेल भंडार पर भी दबाव डालेगा। सरकार को वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं और मार्गों की तलाश करनी होगी, जो आसान नहीं है।
महंगाई बढ़ने का बढ़ेगा दबाव
वैश्विक आपूर्ति बाधित होने से कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं। इसका सीधा असर भारत के आयात बिल पर पड़ेगा। तेल महंगा होने से पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ेंगे। जैसा कि हमने अपनी पिछली महंगाई विश्लेषण रिपोर्ट में बताया था, ईंधन की कीमतें बढ़ने से महंगाई तेजी से बढ़ती है।
माल ढुलाई महंगी हो जाएगी, जिससे खाने-पीने की चीजों से लेकर सभी वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। यह आम आदमी की जेब पर सीधा बोझ डालेगा।
क्या ईरान सच में उठाएगा यह कदम?
यह समझना जरूरी है कि अभी सिर्फ संसद ने बिल पास किया है। इसे कानून बनने के लिए ईरान की गार्डियन काउंसिल से मंजूरी मिलनी बाकी है। कई विश्लेषक इसे ईरान की एक दबाव बनाने की रणनीति मान रहे हैं।
ईरान इस कदम से पश्चिमी देशों पर इजरायल को समर्थन न देने का दबाव बनाना चाहता है। हालांकि, इस मार्ग को बंद करना एक युद्ध छेड़ने जैसा कदम होगा। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश इस पर कड़ी सैन्य प्रतिक्रिया दे सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप फाइनेंशियल एक्सप्रेस की मूल रिपोर्ट पढ़ सकते हैं।
निष्कर्ष: भारत को रहना होगा तैयार
भारत इस पूरे घटनाक्रम पर करीब से नजर बनाए हुए है। नई दिल्ली के लिए यह एक मुश्किल कूटनीतिक चुनौती है। भारत के ईरान और पश्चिमी देशों, दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं।
अंततः, यह संकट सिर्फ तेल की कीमतों का नहीं है। यह वैश्विक भू-राजनीति और भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की भी परीक्षा है। भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी विकल्पों पर विचार करना होगा।