मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेन एक बार फिर जानलेवा साबित हुई। शुक्रवार सुबह ठाणे जा रही एक खचाखच भरी लोकल ट्रेन से गिरकर दो यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि एक अन्य यात्री गंभीर रूप से घायल हो गया। यह हादसा मुंब्रा और कलवा स्टेशन के बीच हुआ।
इस घटना ने मुंबई लोकल में रोजाना सफर करने वाले लाखों यात्रियों की सुरक्षा पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शुरुआती जांच में हादसे की मुख्य वजह ट्रेन में क्षमता से अधिक भीड़ को बताया जा रहा है।
कैसे हुआ यह दर्दनाक हादसा?
यह घटना सुबह लगभग 9:30 बजे सेंट्रल रेलवे के ट्रांस-हार्बर लाइन पर घटी। ट्रेन दिवा स्टेशन से ठाणे की ओर जा रही थी। सुबह के व्यस्त समय होने के कारण यात्रियों की भारी भीड़ थी, जिस कारण ट्रेन में खड़े रहने को भी जगह नहीं थी। कई यात्री दरवाजों पर लटककर सफर करने को मजबूर थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जैसे ही ट्रेन मुंब्रा क्रीक पर बने रेलवे पुल के पास पहुँची, एक तेज़ झटका लगा। इसी झटके के कारण संतुलन बिगड़ने से दरवाज़े पर खड़े तीन यात्री नीचे ट्रैक पर जा गिरे। इनमें से दो की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीसरे को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
मृतकों और घायल की पहचान
सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) ने मृतकों और घायल यात्री की पहचान कर ली है। मृतकों में मुंब्रा निवासी 20 वर्षीय दानिश हुसैन खान और बिहार के रहने वाले 25 वर्षीय सिराज अहमद कुरैशी शामिल हैं। दानिश कुर्ला में काम पर जा रहे थे, जबकि सिराज ठाणे में मजदूरी करते थे।
इसके अलावा, घायल यात्री की पहचान 21 वर्षीय मोहम्मद अफसर शेख के रूप में हुई है। उन्हें तुरंत कलवा के सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
रेलवे और पुलिस का क्या कहना है?
घटना की सूचना मिलते ही ठाणे जीआरपी और रेलवे के अधिकारी मौके पर पहुँचे। जीआरपी ने इस मामले में आकस्मिक मृत्यु रिपोर्ट (ADR) दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है।
सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डॉ. स्वप्निल नीला ने घटना की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और रेलवे प्रशासन इस मामले की पूरी जांच कर रहा है। हालांकि, रेलवे ने भीड़ को नियंत्रित करने के उपायों पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है।
मुंबई लोकल की जानलेवा भीड़: एक पुरानी और गंभीर समस्या
यह हादसा मुंबई लोकल ट्रेनों में जानलेवा भीड़ की कड़वी सच्चाई को एक बार फिर उजागर करता है। यह कोई पहली घटना नहीं है जब भीड़ के कारण यात्रियों की जान गई हो। हर दिन लाखों यात्री अपनी जान जोखिम में डालकर दरवाजों पर लटककर या कोच के अंदर अत्यधिक दबाव में सफर करते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ाई जाती और रेलवे के बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं होता, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। सुबह और शाम के व्यस्त समय में स्थिति सबसे ज्यादा खराब होती है, जब लोग काम पर जाने और घर लौटने की जल्दी में होते हैं।
इस घटना के बाद यात्री संघों ने रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि रेलवे केवल किराया बढ़ाने पर ध्यान देता है, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। यह हादसा व्यवस्था की विफलता का एक और उदाहरण है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। अब देखना यह होगा कि इस घटना के बाद रेलवे प्रशासन कोई सबक लेता है या नहीं।