TCS की नई पॉलिसी: वर्क फ्रॉम होम खत्म, 35 दिन की डेडलाइन
भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने दो बड़े फैसले लिए हैं। कंपनी ने अपनी TCS नई पॉलिसी के तहत कर्मचारियों के लिए बड़े बदलाव किए हैं। पहला, कंपनी ने वर्क फ्रॉम होम मॉडल को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। इसके अलावा, बेंच पर मौजूद कर्मचारियों के लिए एक सख्त समय-सीमा तय की गई है। इस नई गाइडलाइन ने आईटी सेक्टर में एक नई बहस छेड़ दी है।
यह कदम कंपनी की कार्यक्षमता बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि, इन फैसलों से कर्मचारियों के बीच थोड़ी बेचैनी भी है। TCS का यह नया नियम भविष्य में दूसरी आईटी कंपनियों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है। इसलिए, इस बदलाव के असर को समझना बेहद ज़रूरी हो गया है।
बेंच पर बैठे कर्मचारियों के लिए 35 दिनों की डेडलाइन
TCS की नई बेंच पॉलिसी अब चर्चा का केंद्र है। इस नीति के अनुसार, जो कर्मचारी किसी प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर रहे हैं, उन्हें बेंच पर माना जाएगा। इसके अलावा, उन्हें नया प्रोजेक्ट खोजने के लिए केवल 35 दिनों का समय मिलेगा। यह समय-सीमा कंपनी के इंटरनल प्लेटफॉर्म ‘टैलेंट क्लाउड’ के माध्यम से लागू होगी।
पहले बेंच पर मौजूद कर्मचारियों को अधिक समय मिलता था। लेकिन वास्तव में, अब कंपनी संसाधनों का बेहतर उपयोग करना चाहती है। यदि कोई कर्मचारी 35 दिनों के भीतर नया प्रोजेक्ट हासिल नहीं कर पाता है, तो उसके भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ सकती है। इस कारण, यह नियम कर्मचारियों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
कंपनी का मानना है कि यह कदम कर्मचारियों को सक्रिय बनाएगा। इससे वे अपनी स्किल को बेहतर करने के लिए प्रेरित होंगे। अंततः, यह पॉलिसी कंपनी को अपने मानव संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करने में मदद करेगी।
वर्क फ्रॉम होम का अंत, ऑफिस वापसी अनिवार्य
कोरोना महामारी के बाद से जारी वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड मॉडल को TCS ने अब पूरी तरह खत्म कर दिया है। कंपनी ने अपने सभी कर्मचारियों को ऑफिस आकर काम करने का निर्देश दिया है। यह फैसला टीम के बीच बेहतर सहयोग और कंपनी कल्चर को मजबूत करने के लिए लिया गया है।
कंपनी के अनुसार, ऑफिस में एक साथ काम करने से इनोवेशन और प्रोडक्टिविटी बढ़ती है। हालांकि, कई कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम की सुविधा के आदी हो चुके थे। उनके लिए यह बदलाव थोड़ा मुश्किल हो सकता है। उदाहरण के लिए, जो कर्मचारी दूसरे शहरों से काम कर रहे थे, उन्हें अब वापस लौटना होगा।
TCS का मानना है कि ऑफिस का माहौल सीखने और विकास के लिए बेहतर है। इसलिए, कंपनी ने यह कड़ा कदम उठाया है। यह फैसला आईटी सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम के भविष्य पर भी सवाल खड़े करता है।
कर्मचारियों और IT सेक्टर पर क्या होगा असर?
TCS के इन फैसलों का असर सिर्फ कंपनी तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि, इसका प्रभाव पूरे भारतीय आईटी सेक्टर पर पड़ सकता है। बेंच पॉलिसी से कर्मचारियों में नौकरी की असुरक्षा बढ़ सकती है। इस कारण, कर्मचारी अधिक दबाव महसूस कर सकते हैं।
दूसरी ओर, ऑफिस वापसी का नियम कर्मचारियों के वर्क-लाइफ बैलेंस को प्रभावित कर सकता है। लेकिन वास्तव में, कंपनियां मानती हैं कि यह प्रोडक्टिविटी के लिए जरूरी है। कई छोटी और मध्यम आकार की आईटी कंपनियां अब TCS के इस मॉडल का अनुसरण कर सकती हैं।
यदि ऐसा होता है, तो यह भारतीय आईटी उद्योग में एक बड़ा संरचनात्मक बदलाव होगा। अंततः, कर्मचारियों को इन नई वास्तविकताओं के साथ तालमेल बिठाना होगा। यह देखना होगा कि कर्मचारी इन बदलावों पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।
TCS का आधिकारिक पक्ष क्या है?
इन बदलावों पर TCS ने अपना पक्ष साफ रखा है। कंपनी का कहना है कि यह निर्णय लंबी अवधि की रणनीति का हिस्सा है। उनका मुख्य लक्ष्य एक अनुशासित और सहयोगी वर्क एनवायरनमेंट बनाना है।
इसके अलावा, कंपनी ने यह भी कहा है कि वह कर्मचारियों की अपस्किलिंग पर निवेश कर रही है। ‘टैलेंट क्लाउड’ जैसे प्लेटफॉर्म इसी दिशा में एक कदम हैं। इनका उद्देश्य कर्मचारियों को नए अवसरों से जोड़ना है।
हालांकि, कंपनी ने यह भी संकेत दिया है कि प्रदर्शन और नियमों का पालन न करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसलिए, कर्मचारियों को इन नई नीतियों को गंभीरता से लेना होगा। TCS का यह कदम स्पष्ट करता है कि कंपनी अब प्रदर्शन को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी।