तमिलनाडु में आम किसान परेशान, सरकार से मदद की मांग
पार्टी अध्यक्ष जी.के. वासन ने राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। उन्होंने किसानों के लिए दो मुख्य मांगें रखी हैं। पहली, आम का उचित मूल्य तय किया जाए। इसके अलावा, जिन किसानों को नुकसान हुआ है, उन्हें मुआवजा दिया जाए। यह कृषि संकट राज्य के कई जिलों में फैल गया है।
क्यों गिरीं आम की कीमतें?
इस साल आम की पैदावार अच्छी हुई है। लेकिन वास्तव में, यही अच्छी पैदावार किसानों के लिए मुसीबत बन गई। बाजार में आम की आवक बहुत ज्यादा हो गई। इस कारण, मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ गया। नतीजतन, कीमतें धड़ाम से नीचे आ गईं।
किसानों का कहना है कि उन्हें प्रति किलो बहुत कम दाम मिल रहे हैं। यह दाम उनकी लागत से भी कम है। इसमें कीटनाशक, खाद और मजदूरी का खर्च शामिल है। यह स्थिति विशेष रूप से कृष्णागिरी जैसे जिलों में गंभीर है। कृष्णागिरी आम उत्पादन का एक बड़ा केंद्र है।
किसानों के लिए क्या मांग की जा रही है?
जी.के. वासन ने सरकार के सामने एक स्पष्ट रोडमैप रखा है। उनका कहना है कि सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए। ताकि किसानों को इस आर्थिक संकट से उबारा जा सके।
उचित खरीद मूल्य की मांग
सबसे बड़ी मांग आम के लिए एक उचित खरीद मूल्य तय करने की है। इसका मतलब है कि सरकार एक न्यूनतम मूल्य निर्धारित करे। इस मूल्य पर सरकारी एजेंसियां या पल्प बनाने वाली इकाइयां आम खरीदें। यदि ऐसा होता है, तो किसानों को एक निश्चित आमदनी की गारंटी मिलेगी।
आर्थिक मुआवजे का आग्रह
दूसरी अहम मांग आर्थिक मुआवजे की है। जिन किसानों को कम कीमतों के कारण भारी नुकसान हुआ है, उन्हें सरकार आर्थिक मदद दे। उदाहरण के लिए, सरकार प्रति एकड़ के हिसाब से एकमुश्त राशि दे सकती है। यह किसानों को तत्काल राहत प्रदान करेगा।
पल्प उद्योग पर भी असर
आम की कीमतों का यह संकट सिर्फ किसानों तक सीमित नहीं है। बल्कि, इसका असर आम का गूदा (पल्प) बनाने वाले उद्योगों पर भी पड़ रहा है। कृष्णागिरी जिले में कई पल्प बनाने वाली इकाइयां हैं। ये इकाइयां किसानों से बड़ी मात्रा में आम खरीदती हैं।
हालांकि, अभी वे भी कम कीमतों पर खरीद कर रही हैं। इससे किसानों का शोषण हो रहा है। सरकार के हस्तक्षेप से इस पूरी सप्लाई चेन को स्थिर किया जा सकता है। पूरी खबर आप द हिंदू पर पढ़ सकते हैं (Outbound Link)।
देश में किसानों की मदद के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। आप पीएम किसान सम्मान निधि योजना (Internal Link) के बारे में भी जान सकते हैं।
निष्कर्ष: सरकार के फैसले पर टिकी निगाहें
अंततः, तमिलनाडु के आम किसानों का भविष्य अब सरकार के फैसले पर टिका है। यह एक गंभीर कृषि संकट है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि सरकार समय पर सही कदम उठाती है, तो लाखों किसानों को बर्बादी से बचाया जा सकता है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देती है।