ITR डेडलाइन: ऑडिट मामलों में राहत, क्या आम करदाता को भी फायदा?
नई दिल्ली: आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की प्रक्रिया भारत में करदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण वार्षिक गतिविधि है। निर्धारण वर्ष 2024-25 (यानी वित्तीय वर्ष 2023-24 में अर्जित आय के लिए) के लिए ITR फाइलिंग की समय सीमा को लेकर एक महत्वपूर्ण अपडेट आया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने कुछ विशिष्ट श्रेणी के करदाताओं के लिए ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2024 से बढ़ाकर 15 सितंबर, 2024 कर दी है। हालांकि, यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि यह राहत सभी के लिए नहीं है।
ध्यान दें: यह विस्तार मुख्य रूप से उन करदाताओं के लिए है जिनके खातों का ऑडिट होना आवश्यक है। अधिकांश वेतनभोगी व्यक्तियों और उन लोगों के लिए जिनके खातों का ऑडिट अनिवार्य नहीं है, ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि अभी भी 31 जुलाई, 2024 ही है।
किन करदाताओं को मिली यह विस्तारित समय सीमा?
CBDT द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, ITR फाइलिंग की समय सीमा में यह विस्तार विशेष रूप से उन करदाताओं पर लागू होता है जिन्हें आयकर अधिनियम, 1961 के तहत अपने खातों का ऑडिट करवाना अनिवार्य है। इसमें आम तौर पर निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
- कंपनियां
- ऐसे व्यक्ति या फर्म जिनके व्यापारिक टर्नओवर या पेशेवर प्राप्तियां एक निश्चित निर्दिष्ट सीमा से अधिक हैं।
- अन्य करदाता जिन्हें कानून के तहत ऑडिट की आवश्यकता होती है।
इन करदाताओं के लिए, ऑडिट रिपोर्ट जमा करने और ITR दाखिल करने की प्रक्रिया अधिक जटिल और समय लेने वाली हो सकती है, जिसके कारण उन्हें अतिरिक्त समय दिया गया है।
सामान्य करदाताओं के लिए क्या? 31 जुलाई की डेडलाइन बरकरार
यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि वेतनभोगी वर्ग, छोटे व्यवसायी (जिनके लिए ऑडिट अनिवार्य नहीं है), और अन्य व्यक्तिगत करदाता जिनके खातों का ऑडिट नहीं होता है, उनके लिए ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उनके लिए, निर्धारण वर्ष 2024-25 के लिए ITR जमा करने की नियत तारीख अभी भी 31 जुलाई, 2024 है।
सावधान! यदि आप उस श्रेणी में नहीं आते हैं जिनके लिए ऑडिट अनिवार्य है, तो कृपया 31 जुलाई, 2024 तक अपना ITR अवश्य दाखिल करें ताकि किसी भी प्रकार के विलंब शुल्क या अन्य कानूनी परिणामों से बचा जा सके।
क्यों दिया गया ऑडिट मामलों में अतिरिक्त समय?
आम तौर पर, ऑडिट मामलों के लिए ITR फाइलिंग की समय सीमा बढ़ाने के पीछे कई कारण होते हैं। कर पेशेवरों और विभिन्न औद्योगिक निकायों से प्राप्त अभ्यावेदनों पर विचार करते हुए यह निर्णय लिया जाता है। ऑडिट प्रक्रिया में वित्तीय रिकॉर्ड की गहन जांच, अनुपालन सुनिश्चित करना और विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना शामिल होता है, जिसमें समय लगता है। करदाताओं और कर पेशेवरों को पर्याप्त समय प्रदान करने और अनुपालन बोझ को कम करने के उद्देश्य से यह विस्तार दिया जाता है।
समय पर ITR फाइलिंग: क्यों है यह महत्वपूर्ण?
समय पर आयकर रिटर्न दाखिल करना न केवल एक कानूनी दायित्व है, बल्कि इसके कई फायदे भी हैं:
- विलंब शुल्क से बचाव: देर से ITR दाखिल करने पर आयकर अधिनियम की धारा 234F के तहत जुर्माना लग सकता है।
- ब्याज से बचाव: यदि कोई कर देनदारी बनती है, तो देर से भुगतान करने पर ब्याज भी देना पड़ सकता है।
- नुकसान को आगे ले जाना: यदि आप समय पर रिटर्न दाखिल करते हैं, तो आप कुछ प्रकार के नुकसान (जैसे व्यापार या पूंजीगत लाभ से नुकसान) को भविष्य के वर्षों में समायोजित करने के लिए आगे ले जा सकते हैं।
- शीघ्र रिफंड: यदि आपका कोई रिफंड बनता है, तो जल्दी ITR दाखिल करने से रिफंड प्रक्रिया भी शीघ्र हो सकती है।
- ऋण और वीजा प्रक्रिया में आसानी: कई वित्तीय संस्थान ऋण आवेदनों के लिए और दूतावास वीजा आवेदनों के लिए ITR की प्रतियां मांगते हैं।
करदाताओं के लिए सलाह और आगे के कदम
सभी करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपनी श्रेणी की पुष्टि करें और संबंधित समय सीमा का पालन करें।
- अपनी श्रेणी जानें: सुनिश्चित करें कि आप पर ऑडिट लागू होता है या नहीं। यदि संदेह हो, तो अपने कर सलाहकार से संपर्क करें।
- जल्द तैयारी शुरू करें: अंतिम समय की हड़बड़ी से बचने के लिए आवश्यक दस्तावेज (जैसे फॉर्म 16, बैंक स्टेटमेंट, निवेश प्रमाण) इकट्ठा करना और ITR तैयार करना जल्द शुरू करें।
- सही फॉर्म चुनें: अपनी आय के स्रोतों के आधार पर सही ITR फॉर्म का चयन करें।
- ई-फाइलिंग पोर्टल का उपयोग करें: आयकर विभाग के आधिकारिक ई-फाइलिंग पोर्टल का उपयोग करके अपना रिटर्न आसानी से दाखिल करें।
निष्कर्ष: CBDT द्वारा ऑडिट मामलों के लिए ITR फाइलिंग की समय सीमा 15 सितंबर, 2024 तक बढ़ाना एक स्वागत योग्य कदम है, जो इन करदाताओं को आवश्यक राहत प्रदान करेगा। हालांकि, आम करदाताओं को यह याद रखना चाहिए कि उनके लिए 31 जुलाई, 2024 की समय सीमा अभी भी लागू है। समय पर अनुपालन सुनिश्चित करना सभी के हित में है ताकि अनावश्यक परेशानियों और वित्तीय देनदारियों से बचा जा सके।