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कर्नाटक में कुछ दिनों की सुस्ती के बाद मानसून एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने राज्य के 20 से अधिक जिलों में 12 जून से भारी बारिश की संभावना जताते हुए ‘येलो अलर्ट’ जारी किया है। इस चेतावनी के बाद प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
तटीय और मलनाड क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, बारिश का सबसे अधिक असर तटीय कर्नाटक और मलनाड क्षेत्रों में देखने को मिलेगा। विभाग ने इन इलाकों के लिए विशेष चेतावनी जारी की है।
तटीय कर्नाटक:** दक्षिण कन्नड़, उडुपी और उत्तर कन्नड़ जिलों में 12 जून से अगले कुछ दिनों तक भारी वर्षा होने की प्रबल संभावना है। इन क्षेत्रों में येलो अलर्ट प्रभावी रहेगा।
मलनाड क्षेत्र:** इसी तरह, मलनाड के प्रमुख जिले जैसे शिवमोग्गा, चिक्कमगलुरु, हासन और कोडागु में भी मूसलाधार बारिश का अनुमान है। यह क्षेत्र अपनी घनी हरियाली और कॉफी बागानों के लिए जाना जाता है।
उत्तर और दक्षिण कर्नाटक में भी अलर्ट
मानसून की यह सक्रियता केवल तटीय इलाकों तक सीमित नहीं है। राज्य के उत्तरी और दक्षिणी आंतरिक हिस्सों में भी इसका व्यापक असर दिखाई देगा।
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर आंतरिक कर्नाटक के बेलगावी, धारवाड़, हावेरी, गदग और बल्लारी जिलों में गरज-चमक के साथ भारी बारिश हो सकती है। वहीं, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक के बेंगलुरु शहरी, बेंगलुरु ग्रामीण, कोलार, चिक्कबल्लापुर और तुमकुरु जैसे जिलों में भी मध्यम से भारी बारिश का दौर देखने को मिल सकता है।
मछुआरों के लिए विशेष चेतावनी जारी
बारिश के साथ-साथ तटीय इलाकों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने का भी अनुमान है। इन तेज हवाओं के कारण समुद्र में ऊंची लहरें उठ सकती हैं।
इसी को देखते हुए, मौसम विभाग ने मछुआरों को अगले कुछ दिनों तक समुद्र में न जाने की सख्त सलाह दी है। यह चेतावनी जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जारी की गई है। प्रशासन भी तटीय इलाकों पर लगातार नजर बनाए हुए है।
क्यों बदला मौसम का मिजाज?
विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य में मानसून की गतिविधियां कमजोर पड़ गई थीं, लेकिन अब एक बार फिर यह सिस्टम सक्रिय हो गया है। अरब सागर से नमी वाली हवाओं का प्रवाह बढ़ा है, जो राज्य में भारी बारिश के लिए अनुकूल परिस्थितियां बना रहा है।
इस बारिश से जहां एक तरफ किसानों के चेहरों पर खुशी लौटी है, वहीं शहरी क्षेत्रों में जलभराव की समस्या पैदा हो सकती है। कृषि के लिए यह बारिश बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां बुवाई का काम चल रहा है। हालांकि, प्रशासन को संभावित आपदाओं से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।