Monday, July 28, 2025
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    एयर इंडिया विमान हादसा: पायलट के आखिरी शब्द रिपोर्ट में उजागर

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    एयर इंडिया विमान हादसा: पायलट के आखिरी शब्द रिपोर्ट में उजागर

    कोझिकोड में हुए एयर इंडिया विमान हादसे की जांच रिपोर्ट आ गई है। इस रिपोर्ट ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है। यह खुलासा पायलटों की आखिरी बातचीत से जुड़ा है। वास्तव में, हादसे से ठीक पहले पायलट के अंतिम शब्द थे, “मैंने फ्यूल बंद नहीं किया था”। इस विमान क्रैश ने पूरे देश को झकझोर दिया था।

    यह विमान दुर्घटना 7 अगस्त, 2020 को घटी। एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ान संख्या IX-1344 केरल में स्थित कोझिकोड हवाई अड्डे पर लैंड करने के बाद रनवे से फिसल गई। तेज बारिश के कारण रनवे की सतह फिसलन भरी हो गई थी, जिसके चलते विमान नियंत्रण से बाहर हो गया। इसके बाद विमान खाई में गिरकर दो टुकड़ों में बंट गया। इस दर्दनाक हादसे में दोनों पायलटों समेत 21 लोगों की जान चली गई थी।

    हादसे की जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

    विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) के अंश शामिल हैं। इससे पायलट और को-पायलट के बीच हुई आखिरी बातचीत का पता चला। अंततः, यही बातचीत हादसे के कारणों पर रोशनी डालती है।

    एयर इंडिया विमान हादसा

    रिपोर्ट के मुताबिक, लैंडिंग के दौरान को-पायलट ने कैप्टन को कुछ निर्देश दिए थे। ये निर्देश ईंधन प्रणाली से संबंधित थे। इसके अलावा, को-पायलट ने कैप्टन से विमान का नियंत्रण लेने की भी पेशकश की थी। लेकिन ऐसा हो नहीं सका।

    “मैंने फ्यूल बंद नहीं किया था” – पायलट के आखिरी शब्द

    जांच रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा पायलट के आखिरी शब्द हैं। को-पायलट द्वारा ईंधन को लेकर आगाह करने पर कैप्टन ने जवाब दिया। उनके आखिरी शब्द थे, “मैंने फ्यूल बंद नहीं किया था।” इसके तुरंत बाद विमान का संपर्क टूट गया। इसलिए, यह बातचीत जांच का एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु बन गई है।

    यह बातचीत विमान के नियंत्रण और आपातकालीन प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल उठाती है। यदि समय पर सही निर्णय लिया जाता, तो शायद हालात कुछ और होते। हालांकि, अब यह जांच का विषय है।

    दुर्घटना का संभावित कारण क्या था?

    रिपोर्ट के अनुसार, हादसे का संभावित कारण SOP का पालन न करना था। पायलट ने मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। उदाहरण के लिए, अस्थिर लैंडिंग के बावजूद उन्होंने ‘गो-अराउंड’ का फैसला नहीं लिया। ‘गो-अराउंड’ का मतलब विमान को दोबारा हवा में ले जाना होता है।

    इसके अलावा, तेज बारिश और प्रतिकूल मौसम भी एक बड़ा कारक थे। इस कारण पायलट को रनवे का सही अंदाजा नहीं लग पाया। अंततः, विमान रनवे से आगे निकल गया और यह दुखद दुर्घटना हुई। विमान सुरक्षा के नियमों पर अधिक जानकारी के लिए आप हमारे इस लेख को पढ़ सकते हैं: विमान सुरक्षा के नए नियम (आंतरिक लिंक)

    को-पायलट की भूमिका पर भी सवाल

    जांच में को-पायलट की भूमिका को भी एक सहायक कारण माना गया है। रिपोर्ट कहती है कि को-पायलट कैप्टन के गलत फैसलों को रोकने में विफल रहे। उन्होंने assertive तरीके से विमान का नियंत्रण अपने हाथ में नहीं लिया। इस कारण, एक बड़ी चूक हो गई।

    विमानन विशेषज्ञों की मानें तो ऐसी परिस्थितियों में सह-पायलट (को-पायलट) की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। उनका कहना है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उसे तुरंत कमान संभाल लेनी चाहिए थी। हालांकि, ऐसा न हो पाना हादसे के पीछे का एक प्रमुख कारण बना। विस्तृत जांच रिपोर्ट आप नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) की वेबसाइट पर देख सकते हैं: विस्तृत जांच रिपोर्ट यहाँ पढ़ें (बाहरी लिंक)

    कोझिकोड विमान हादसे का घटनाक्रम

    एयर इंडिया का यह विमान दुबई से आ रहा था। यह वंदे भारत मिशन का हिस्सा था। इसमें 190 लोग सवार थे, जिनमें क्रू सदस्य भी शामिल थे। कोझिकोड का एयरपोर्ट एक ‘टेबल-टॉप’ रनवे है। इसका मतलब है कि इसके दोनों ओर गहरी खाई है।

    भारी बारिश के बीच विमान ने लैंडिंग की कोशिश की। लेकिन विमान रनवे के अंत तक नहीं रुक सका। इसके बाद यह 35 फीट गहरी खाई में जा गिरा। इस भयावह दुर्घटना ने विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल पर एक नई बहस शुरू कर दी है।

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