Monday, July 28, 2025
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    गाजा युद्धविराम वार्ता: इजरायल की पेशकश पर हमास का मंथन

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    गाजा युद्धविराम वार्ता: इजरायल की पेशकश पर हमास का मंथन, क्या रुकेगा युद्ध?

    काहिरा: गाजा पट्टी में शांति की उम्मीदें फिर जगी हैं। मिस्र की राजधानी काहिरा में गाजा युद्धविराम वार्ता एक नाजुक मोड़ पर है। हमास का एक प्रतिनिधिमंडल इजरायल के नए प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। यह प्रस्ताव संघर्ष विराम की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। हालांकि, हमास ने अभी अपना अंतिम फैसला नहीं सुनाया है। इसके अलावा, संगठन ने कहा है कि वह जवाब के साथ काहिरा लौटेगा।

    इस पूरी प्रक्रिया में अंतरराष्ट्रीय दबाव साफ दिख रहा है। हमास-इजरायल समझौते को लेकर दुनिया की नजरें काहिरा पर टिकी हैं। वास्तव में, यह वार्ता गाजा के भविष्य को तय कर सकती है। यदि यह प्रयास सफल होता है, तो लाखों लोगों को राहत मिलेगी।

    क्या है इजरायल का नया समझौता प्रस्ताव?

    रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायल ने एक विस्तृत पेशकश की है। इस प्रस्ताव में 40 दिनों का अस्थायी संघर्ष विराम शामिल है। इसके बदले में हमास को कुछ इजरायली बंधकों को रिहा करना होगा। इजरायल भी बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ेगा। इस कारण, इसे अब तक की सबसे गंभीर पेशकश माना जा रहा है।

    अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस प्रस्ताव को “असाधारण रूप से उदार” बताया है। उनका यह बयान समझौते के महत्व को दर्शाता है। हालांकि, हमास की मुख्य मांग एक स्थायी युद्धविराम की है। यह देखना होगा कि क्या नया प्रस्ताव इस मांग को पूरा करता है।

    अमेरिकी कूटनीति और ब्लिंकन का दौरा

    मध्य पूर्व में तनाव कम करने के लिए अमेरिका सक्रिय है। इसी सिलसिले में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन सऊदी अरब पहुंचे हैं। उनका यह दौरा गाजा युद्धविराम वार्ता को सफल बनाने पर केंद्रित है। ब्लिंकन लगातार क्षेत्रीय नेताओं से संपर्क में हैं।

    गाजा युद्धविराम वार्ता

    उदाहरण के लिए, उन्होंने इजरायल पर दबाव बनाया है। साथ ही हमास से भी इस मौके का फायदा उठाने को कहा है। अमेरिका का मानना है कि यही सही समय है। एक समझौता गाजा में मानवीय संकट को कम कर सकता है। इसलिए, ब्लिंकन की भूमिका काफी अहम हो गई है।

    रफाह पर मंडराता सैन्य अभियान का संकट

    युद्धविराम की इन कोशिशों के बीच एक बड़ा खतरा भी है। यह खतरा दक्षिणी गाजा के शहर रफाह पर मंडरा रहा है। इजरायल ने साफ कहा है कि अगर समझौता नहीं हुआ, तो वह रफाह में सैन्य अभियान शुरू करेगा। इस कारण, पूरी दुनिया में चिंता बढ़ गई है।

    रफाह में दस लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी शरण लिए हुए हैं। ये लोग गाजा के दूसरे हिस्सों से विस्थापित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहायता एजेंसियों ने चेतावनी दी है। उनके मुताबिक, रफाह पर हमला एक मानवीय तबाही लाएगा। लेकिन, इजरायल इसे हमास का आखिरी गढ़ मानता है। समझौता प्रस्ताव ही इस अभियान को रोक सकता है। (यह एक आंतरिक लिंक/Internal Link है)।

    बातचीत की राह में क्या हैं चुनौतियां?

    यह रास्ता आसान नहीं है। दोनों पक्षों के बीच भरोसे की भारी कमी है। हमास पूर्ण युद्धविराम और इजरायली सेना की वापसी चाहता है। इसके अलावा, वह गाजा की घेराबंदी खत्म करने की भी मांग करता है।

    दूसरी ओर, इजरायल का लक्ष्य हमास को पूरी तरह खत्म करना है। वह किसी भी ऐसे समझौते से बचेगा जो हमास को फिर से मजबूत करे। वास्तव में, यही सबसे बड़ी वैचारिक बाधा है। मध्यस्थ देश, जैसे मिस्र और कतर, इसी खाई को पाटने की कोशिश कर रहे हैं।

    आगे क्या होगा?

    अंततः, गेंद अब हमास के पाले में है। उसका जवाब ही वार्ता की अगली दिशा तय करेगा। यदि हमास सकारात्मक प्रतिक्रिया देता है, तो शांति की उम्मीद बढ़ेगी। लेकिन अगर वह प्रस्ताव खारिज करता है, तो रफाह पर हमले का खतरा बढ़ जाएगा।

    पूरी दुनिया सांस रोककर इस फैसले का इंतजार कर रही है। यह संघर्ष विराम न केवल बंधकों की वापसी कराएगा, बल्कि यह गाजा में तत्काल मानवीय सहायता पहुंचाने का मार्ग भी खोलेगा। इसलिए, अगले कुछ दिन इस क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं।


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