हरियाणा में हीटवेव का रेड अलर्ट: अस्पतालों में लगी मरीजों की कतारें, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की चेतावनी
चंडीगढ़: हरियाणा इस वक्त भीषण गर्मी और जानलेवा हीटवेव की अभूतपूर्व चपेट में है, जिसके कारण प्रदेश भर में जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। हरियाणा में भीषण गर्मी का प्रकोप इस कदर बढ़ गया है कि अस्पतालों के बाह्य रोगी विभाग (OPD) में मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की जा रही है। लगातार चढ़ता भीषण गर्मी का पारा और चिलचिलाती भीषण गर्मी ने लोगों को बीमार करना शुरू कर दिया है, और प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका सीधा और गंभीर असर (लू लगना) अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है, जिससे प्रशासन की चिंताएं बढ़ गई हैं।
भीषण गर्मी अस्पतालों पर बढ़ा बोझ, स्वास्थ्य व्यवस्था पर मंडराया संकट
प्रदेश के लगभग सभी सरकारी और निजी अस्पतालों से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वे काफी चिंताजनक हैं, जहाँ ओपीडी के बाहर मरीजों की लंबी कतारें सुबह से ही लग जाती हैं। डॉक्टरों के अनुसार, सामान्य दिनों की तुलना में मरीजों की संख्या में 40 से 50 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है, जिनमें अधिकांश लोग गर्मी से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं। यह स्थिति केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी स्वास्थ्यकर्मियों को मरीजों के बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है। इस अप्रत्याशित भीड़ के कारण डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ पर काम का बोझ काफी बढ़ गया है, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था की क्षमता की भी कठिन परीक्षा हो रही है।
गर्मी से जुड़ी इन बीमारियों का बढ़ा खतरा
चिकित्सकों का कहना है कि भीषण गर्मी के कारण शरीर की आंतरिक प्रणाली पर बुरा असर पड़ता है, जिससे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। वर्तमान में जो मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं, उनमें मुख्य रूप से हीटस्ट्रोक (लू लगना), हीट एग्जॉशन (गर्मी से थकान), निर्जलीकरण (Dehydration), उल्टी-दस्त, और तेज बुखार जैसी शिकायतें आम हैं। अत्यधिक पसीना निकलने के कारण शरीर में पानी और जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है, जो इन समस्याओं का प्रमुख कारण है। इसके अलावा, पहले से हृदय रोग, मधुमेह या सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह मौसम और भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है।
हीटवेव बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे अधिक असर
इस तापलहर का सबसे गंभीर प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, क्योंकि उनकी शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर होती है। अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों में इन दोनों आयु वर्गों की संख्या सबसे अधिक है। बच्चों में डिहाइड्रेशन और तेज बुखार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जबकि बुजुर्गों को चक्कर आना, बेहोशी और रक्तचाप से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इन दोनों समूहों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है।
हीटवेव से बढ़ते संकटस्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी: क्या करें और क्या न करें
बढ़ते संकट को देखते हुए हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने एक विस्तृत एडवाइजरी जारी की है, जिसमें नागरिकों से लू से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने की अपील की गई है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि थोड़ी सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है, इसलिए इन दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य है।
विभाग ने सलाह दी है कि लू से बचाव के लिए नागरिक दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, भले ही प्यास न लगी हो, ताकि शरीर में नमी बनी रहे। इसके अतिरिक्त, घर से बाहर निकलते समय हल्के रंग के, ढीले-ढाले और सूती कपड़े पहनें और अपने सिर को कपड़े, टोपी या छाते से ढककर रखें। नींबू पानी, छाछ, लस्सी और ओआरएस (ORS) जैसे घरेलू पेय पदार्थों का नियमित सेवन शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करेगा।
इसके साथ ही, कुछ कार्यों से बचने की सख्त हिदायत भी दी गई है। लोगों को सलाह दी गई है कि वे दिन के सबसे गर्म समय, यानी सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच, लू से बचाव के लिए धूप में निकलने से बचें। इस दौरान भारी, मसालेदार और तले हुए भोजन का सेवन न करें क्योंकि यह पाचन तंत्र पर अतिरिक्त बोझ डालता है। चाय, कॉफी और शराब जैसे पेय पदार्थों का सेवन भी कम करने को कहा गया है, क्योंकि ये शरीर में पानी की कमी को बढ़ाते हैं।
प्रशासन की तैयारी और आगे की चुनौती
राज्य सरकार ने सभी अस्पतालों को हीटस्ट्रोक और गर्मी से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए विशेष वार्ड बनाने और आवश्यक दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, लू से बचाव के लिए सार्वजनिक स्थानों पर पीने के पानी की व्यवस्था करने के लिए भी स्थानीय निकायों को कहा गया है। हालांकि, असली चुनौती मौसम के इसी तरह बने रहने की है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, आने वाले कुछ दिनों तक राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
अब यह नागरिकों की अपनी जागरूकता और प्रशासनिक सतर्कता पर निर्भर करता है कि वे इस प्राकृतिक आपदा का सामना कैसे करते हैं। जब तक मानसून की बारिश राहत लेकर नहीं आती, तब तक सावधानी और बचाव के उपाय ही इस भीषण गर्मी के प्रकोप से बचने का एकमात्र प्रभावी तरीका हैं।