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क्रिकेट की दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान, **ICC हॉल ऑफ फेम** की क्लास ऑफ 2025 को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। क्रिकेट जगत में इस बात की जोरदार चर्चा है कि भारत के दो विश्व कप विजेता हीरो, युवराज सिंह और एमएस धोनी, इस साल इस सम्मान के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो भारतीय क्रिकेट के लिए यह एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक क्षण साबित होगा।
ICC हॉल ऑफ फेम: क्या युवराज और धोनी बनेंगे दिग्गजों का हिस्सा?
दुबई: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) हर साल खेल के महानतम खिलाड़ियों को ‘हॉल ऑफ फेम’ में शामिल कर सम्मानित करती है। यह एक ऐसा सम्मान है जो किसी भी क्रिकेटर के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जाता है। इस साल, क्लास ऑफ 2025 के लिए कई ऐसे दिग्गजों के नाम सामने आ रहे हैं, जिन्होंने हाल ही में क्रिकेट को अलविदा कहा है, और इसमें भारतीय फैंस के लिए दोहरी खुशी की वजह है।
चर्चा का केंद्र भारत के दो महानतम मैच विनर, युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी हैं। दोनों ही खिलाड़ी ICC के नियमों के अनुसार इस सम्मान के लिए पात्र हो चुके हैं और उनके अविश्वसनीय करियर को देखते हुए उनकी दावेदारी बेहद मजबूत मानी जा रही है।
क्या है ICC हॉल ऑफ फेम और इसके नियम?
Yuvraj Singh और MS DhoniICC हॉल ऑफ फेम की शुरुआत 2009 में की गई थी। इसका उद्देश्य क्रिकेट के इतिहास के महानतम खिलाड़ियों की उपलब्धियों को स्थायी रूप से मान्यता देना है।
इस सम्मान के लिए पात्र होने का मुख्य नियम यह है कि खिलाड़ी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लिए हुए कम से कम पांच साल हो चुके हों। इसी नियम के आधार पर युवराज सिंह और एमएस धोनी अब इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल होने के योग्य हैं।
युवराज सिंह: 2011 विश्व कप के हीरो की प्रबल दावेदारी
इस सूची में युवराज सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा है। बाएं हाथ के इस विस्फोटक बल्लेबाज और उपयोगी स्पिनर ने भारत को दो विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाई थी।
2007 T20 विश्व कप: इंग्लैंड के खिलाफ एक ऐतिहासिक पारी में युवराज सिंह ने एक ही ओवर में छह छक्के ठोककर क्रिकेट के पन्नों में अपना नाम अमर कर दिया, जो आज भी प्रशंसकों के दिलों में जीवंत है।
2011 ODI विश्व कप: युवराज सिंह इस टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने गए। उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से शानदार प्रदर्शन किया और एक गंभीर बीमारी — कैंसर — से लड़ाई लड़ते हुए भी भारत को विश्व चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई।
युवराज ने 2019 में संन्यास लिया था, और 2024 में उनके 5 साल पूरे हो चुके हैं, जिससे वह 2025 के लिए एक स्वाभाविक और प्रबल दावेदार बन गए हैं।
एमएस धोनी: ‘कैप्टन कूल’ का इंतजार
महेंद्र सिंह धोनी, जिन्हें क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्तानों में से एक माना जाता है, की दावेदारी भी उतनी ही मजबूत है। धोनी दुनिया के एकमात्र कप्तान हैं जिन्होंने तीनों ICC ट्रॉफी (T20 विश्व कप 2007, ODI विश्व कप 2011, और चैंपियंस ट्रॉफी 2013) जीती हैं।
धोनी ने अगस्त 2020 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी। इस हिसाब से अगस्त 2025 में उनके संन्यास के पांच साल पूरे हो जाएंगे, जिससे वह भी इस साल के अंत में होने वाली घोषणा के लिए पात्र हो सकते हैं। उनकी कप्तानी, फिनिशिंग स्किल्स और विकेटकीपिंग का कोई सानी नहीं है।
अन्य अंतरराष्ट्रीय दिग्गज भी कतार में
यह दौड़ सिर्फ भारतीय खिलाड़ियों तक सीमित नहीं है। दुनिया भर के कई अन्य महान खिलाड़ी भी इस सम्मान के लिए पात्र हो चुके हैं, जिनमें शामिल हैं:
एबी डी विलियर्स (दक्षिण अफ्रीका): ‘मिस्टर 360’ के नाम से मशहूर, जिन्होंने बल्लेबाजी की परिभाषा बदल दी।
डेल स्टेन (दक्षिण अफ्रीका): अपने दौर के सबसे खतरनाक और सफल तेज गेंदबाजों में से एक।
लसिथ मलिंगा (श्रीलंका): अपने यूनिक एक्शन और यॉर्कर के लिए प्रसिद्ध, T20 क्रिकेट के एक महान गेंदबाज।
चयन प्रक्रिया कैसे काम करती है?
ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले खिलाड़ियों का चयन एक वोटिंग अकादमी द्वारा किया जाता है। इस अकादमी में मौजूदा हॉल ऑफ फेम सदस्य, अनुभवी पत्रकार, और ICC के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं। वे खिलाड़ियों के करियर के आंकड़ों, खेल पर उनके प्रभाव और खेल भावना जैसे कई मानदंडों पर विचार करते हैं।
निष्कर्ष: दिग्गजों के सम्मान का इंतजार
युवराज सिंह और एमएस धोनी का नाम ICC हॉल ऑफ फेम की संभावित सूची में होना ही उनके महान करियर का एक प्रमाण है। इन दोनों खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है और करोड़ों युवाओं को प्रेरित किया है।
हालांकि अंतिम फैसला ICC की वोटिंग अकादमी करेगी, लेकिन पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रशंसक इस बात का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके ये हीरो आधिकारिक तौर पर ‘हॉल ऑफ फेम’ का हिस्सा बनेंगे।