Wednesday, July 9, 2025
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    नारायण मूर्ति के जवाब में इन्फोसिस की नई पॉलिसी, जानें सब कुछ

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    मूर्ति के जवाब में इन्फोसिस की नई पॉलिसी, जानें सब कुछ

    आईटी दिग्गज इन्फोसिस ने एक बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने कर्मचारियों के लिए इन्फोसिस की नई पॉलिसी जारी की है। यह नई कार्य नीति पूरी तरह से वर्क-लाइफ बैलेंस पर केंद्रित है। यह फैसला संस्थापक नारायण मूर्ति के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने 70 घंटे काम करने की बात कही थी।

    मूर्ति के 70 घंटे काम वाले सुझाव पर देश में बड़ी बहस छिड़ी थी। हालाँकि, अब कंपनी ने एक प्रगतिशील कदम उठाया है। यह कदम कर्मचारी कल्याण को प्राथमिकता देता है। इस कारण, इन्फोसिस की संतुलन पहल की इंडस्ट्री में काफी चर्चा हो रही है। यह नियम कंपनी की सोच में बदलाव का संकेत है।

    क्या है इन्फोसिस की ‘थ्री-फेज’ पॉलिसी?

    इन्फोसिस की यह नई पॉलिसी तीन चरणों पर आधारित है। इसका मकसद कर्मचारी के पूरे कार्यकाल में संतुलन बनाना है। कंपनी इसे ‘होलिस्टिक वेलनेस अप्रोच’ कह रही है। ये तीन चरण बेहद महत्वपूर्ण हैं।

    पहला चरण: इंटीग्रेशन (Integration)

    यह चरण नए कर्मचारियों के लिए है। कंपनी में शामिल होने के दौरान उन्हें सहज महसूस कराया जाएगा। इसके अलावा, उन्हें कंपनी की संस्कृति और काम के माहौल को समझने में मदद मिलेगी। इसका लक्ष्य शुरुआती तनाव को कम करना है।

    दूसरा चरण: कोर वर्किंग (Core Working)

    यह चरण मौजूदा कर्मचारियों के लिए है। इसमें लचीले काम के घंटे और रिमोट वर्क के विकल्प शामिल हैं। उदाहरण के लिए, कर्मचारी अपनी सुविधानुसार काम कर सकेंगे। साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य और वेलनेस प्रोग्राम पर भी जोर दिया जाएगा।

    नारायण मूर्ति

    तीसरा चरण: ट्रांजीशन (Transition)

    यह इस पॉलिसी का सबसे अनोखा हिस्सा है। यदि कोई कर्मचारी कंपनी छोड़ता है, तो भी कंपनी उसकी मदद करेगी। इसमें करियर काउंसलिंग और स्किल डेवलपमेंट जैसी सहायता शामिल है। अंततः, इसका मकसद एक सकारात्मक विदाई सुनिश्चित करना है।

    70 घंटे के सुझाव से कितनी अलग है यह नीति?

    नारायण मूर्ति का सुझाव उत्पादकता और देश के विकास पर केंद्रित था। उनके बयान का आधार कड़ी मेहनत और लंबे काम के घंटे थे। लेकिन वास्तव में, इन्फोसिस की नई पॉलिसी इसके बिल्कुल विपरीत है। यह स्मार्ट वर्क और कर्मचारी कल्याण पर जोर देती है।

    यह पॉलिसी मानती है कि एक खुश और स्वस्थ कर्मचारी ही ज्यादा प्रोडक्टिव होता है। बल्कि, यह लंबे समय तक काम करने के बजाय काम की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करती है। इस कारण, यह आधुनिक कॉर्पोरेट जगत की जरूरतों के ज्यादा करीब दिखती है।

    कर्मचारियों और इंडस्ट्री पर क्या होगा असर?

    इस पॉलिसी से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ने की उम्मीद है। बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस से बर्नआउट की समस्या कम होगी। इससे कर्मचारी कंपनी के प्रति ज्यादा वफादार बनेंगे। यह टैलेंट को कंपनी में बनाए रखने में भी मदद करेगा।

    यह कदम आईटी इंडस्ट्री में एक नया मानक स्थापित कर सकता है। दूसरी कंपनियां भी ऐसी नीतियां बनाने के लिए प्रेरित हो सकती हैं। आप इन्फोसिस के करियर और संस्कृति के बारे में अधिक जानकारी उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर देख सकते हैं। अंततः, यह बदलाव भारतीय कॉर्पोरेट जगत के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

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