जेन स्ट्रीट मामला: सेबी का बड़ा एक्शन, इंडेक्स हेरफेर का आरोप
जेन स्ट्रीट मामला भारतीय शेयर बाजार में बड़ी हलचल मचा रहा है। पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने कड़ा रुख अपनाया है। उसने एक बड़ी वैश्विक ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट को नोटिस भेजा है। वास्तव में, फर्म पर एक्सपायरी के दिन इंडेक्स की क्लोजिंग में हेरफेर का आरोप है। यह नोटिस बाजार की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
यह मामला डेरिवेटिव्स सेगमेंट से जुड़ा है। इसमें खासतौर पर इंडेक्स ऑप्शंस की ट्रेडिंग शामिल है। सेबी की शुरुआती जांच में बड़ी गड़बड़ी के संकेत मिले हैं। इसके अलावा, नियामक ने फर्म से इस पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है। इस घटना ने बाजार में छोटे निवेशकों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
क्या है पूरा जेन स्ट्रीट मामला?
जेन स्ट्रीट एक प्रमुख वैश्विक प्रोपराइटरी ट्रेडिंग फर्म है। यह फर्म अपनी क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग रणनीतियों के लिए जानी जाती है। सेबी का आरोप है कि इस फर्म ने एक्सपायरी के दिनों में अनुचित व्यवहार किया। उसने निफ्टी बैंक ऑप्शंस की सेटलमेंट कीमत को प्रभावित करने की कोशिश की। हालांकि, फर्म ने अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है।
यह कथित हेरफेर बाजार बंद होने के ठीक पहले किया गया। उस समय जानबूझकर बड़े ऑर्डर डाले गए। इस कारण, इंडेक्स की अंतिम कीमत में कृत्रिम बदलाव आया। सेबी इसी पैटर्न की जांच कर रहा है। अंततः, नियामक की अंतिम रिपोर्ट से ही पूरी सच्चाई सामने आएगी।
कैसे की गई इंडेक्स क्लोजिंग में हेरफेर?
सेबी की जांच के अनुसार, हेरफेर का तरीका बहुत शातिर था। एक्सपायरी के दिन शाम के सत्र में यह खेल होता था। फर्म आखिरी कुछ मिनटों में बड़े खरीद या बिक्री के ऑर्डर डालती थी। उदाहरण के लिए, यदि फर्म के पास कॉल ऑप्शंस की बड़ी पोजीशन है, तो वह इंडेक्स को ऊपर ले जाने की कोशिश करेगी।
इन बड़े ऑर्डर्स से बाजार का संतुलन बिगड़ जाता था। इससे इंडेक्स की क्लोजिंग कीमत कृत्रिम रूप से बदल जाती थी। इस बदली हुई कीमत पर ही ऑप्शंस का सेटलमेंट होता था। इसलिए, फर्म को अपनी पहले से बनाई गई पोजीशन पर अनुचित लाभ मिलता था। यह पूरी प्रक्रिया बाजार की निष्पक्षता का उल्लंघन है।
बाजार और निवेशकों पर इसका क्या असर हुआ?
इस तरह की हेरफेर का सबसे बड़ा असर छोटे निवेशकों पर पड़ता है। वे बाजार की सामान्य गति पर भरोसा करके ट्रेड करते हैं। लेकिन वास्तव में, ऐसी गतिविधियों से उन्हें भारी नुकसान हो सकता है। यह बाजार की विश्वसनीयता को भी चोट पहुंचाता है।
इसके अलावा, यह प्राइस डिस्कवरी मैकेनिज्म को कमजोर करता है। एक स्वस्थ बाजार में कीमतें मांग और आपूर्ति से तय होती हैं। लेकिन यहां कीमतों को जानबूझकर प्रभावित किया जा रहा था। यदि ऐसा होता है, तो संस्थागत निवेशकों का भरोसा भी कम होता है।
सेबी का एक्शन और आगे की राह
सेबी ने जेन स्ट्रीट को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया है। इसका मतलब है कि फर्म को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। फर्म को यह समझाना होगा कि उनके ट्रेड्स बाजार के नियमों के अनुसार थे। हालांकि, यदि फर्म के जवाब से नियामक संतुष्ट नहीं होता है, तो कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
संभावित कार्रवाइयों में भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, फर्म को भारतीय बाजारों में ट्रेडिंग से प्रतिबंधित भी किया जा सकता है। इस मामले की विस्तृत जानकारी Moneycontrol की इस रिपोर्ट में उपलब्ध है। (यह एक **आउटबाउंड लिंक** है)।
निवेशकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
यह मामला निवेशकों के लिए एक सबक है। उन्हें एक्सपायरी के दिनों में अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। खासकर बाजार बंद होने के समय होने वाले उतार-चढ़ाव से बचना चाहिए। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत एक्सचेंज या सेबी को देनी चाहिए।
अंततः, निवेशकों को अपनी रिसर्च पर भरोसा करना चाहिए। किसी भी अफवाह या टिप के आधार पर निवेश का फैसला न करें। सुरक्षित निवेश के तरीकों को समझने के लिए आप हमारे शेयर बाजार में सुरक्षित निवेश गाइड पेज को पढ़ सकते हैं। (यह एक **इंटरनल लिंक** है)। यह आपको बेहतर निर्णय लेने में मदद करेगा।