नई दिल्ली: देश की प्रतिष्ठित मेडिकल स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा, नीट पीजी 2025, के आयोजन को लेकर एक महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रभाव डालने वाला निर्णय लिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के एक अहम हस्तक्षेप के बाद, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) ने इस परीक्षा को स्थगित करते हुए इसे अब एक ही पाली में आयोजित करने की घोषणा की है। यह फैसला न केवल हजारों मेडिकल अभ्यर्थियों के भविष्य से जुड़ा है, बल्कि यह देश की परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता की दिशा में एक बड़ा कदम भी माना जा रहा है।
परीक्षा प्रणाली पर उठते सवाल और पृष्ठभूमि
विगत कई वर्षों से नीट पीजी समेत अनेक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाएं कई पालियों में आयोजित की जाती रही हैं। इसके पीछे अभ्यर्थियों की विशाल संख्या और सीमित संसाधनों का हवाला दिया जाता रहा। हालांकि, इस व्यवस्था के कारण प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर में भिन्नता और उसके बाद अपनाई जाने वाली सामान्यीकरण (नॉर्मलाइजेशन) प्रक्रिया की वैज्ञानिकता पर लगातार सवाल उठते रहे। छात्रों का एक बड़ा वर्ग यह महसूस कर रहा था कि अलग-अलग पालियों में परीक्षा होने से उन्हें समान अवसर नहीं मिल पा रहे, जिससे उनकी योग्यता का सही मूल्यांकन प्रभावित हो रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णायक हस्तक्षेप
छात्रों की इन्हीं चिंताओं को संबोधित करते हुए और परीक्षा की शुचिता को सर्वोपरि रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर प्रदान करना और मूल्यांकन प्रक्रिया को संदेह से परे रखना आयोजक संस्था की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है। इसी आलोक में, कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड को “नीट पीजी 2025” का आयोजन एक ही दिन और एक ही पाली में सुनिश्चित करने का कड़ा निर्देश दिया। यह “सुप्रीम कोर्ट का फैसला” परीक्षा सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) की नई योजना और चुनौतियाँ
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में, “राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड” (NBE) ने तत्काल प्रभाव से NEET-PG 2025 परीक्षा को स्थगित कर दिया है। नवीनतम सूचना के अनुसार, NEET-PG 2025 अब 7 जुलाई को आयोजित की जाएगी और यह “एकल पाली परीक्षा” होगी। एनबीई के समक्ष अब सबसे बड़ी चुनौती इतने बड़े पैमाने पर एक ही पाली में परीक्षा का सुचारू और त्रुटिरहित आयोजन सुनिश्चित करना है। इसके लिए परीक्षा केंद्रों की उपलब्धता, पर्यवेक्षकों की नियुक्ति और तकनीकी ढांचे को मजबूत करने जैसी कई लॉजिस्टिकल तैयारियों पर तेजी से काम करना होगा।
बोर्ड ने आश्वासन दिया है कि छात्रों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा और संशोधित कार्यक्रम तथा अन्य आवश्यक जानकारी जल्द ही आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी। यह कदम “मेडिकल प्रवेश परीक्षा” की विश्वसनीयता को और बढ़ाएगा।
छात्रों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएँ एवं सामाजिक प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का छात्र समुदाय और शिक्षाविदों ने व्यापक रूप से स्वागत किया है। अधिकांश छात्रों का मानना है कि इससे मूल्यांकन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत होगी। उन्हें अब नॉर्मलाइजेशन की जटिलताओं और उससे उत्पन्न होने वाली चिंताओं से मुक्ति मिलेगी। शिक्षा विशेषज्ञों का भी यही मत है कि एकल पाली परीक्षा से प्रश्नपत्रों की गोपनीयता बनाए रखने और किसी भी प्रकार की अनियमितता की आशंका को कम करने में मदद मिलेगी।
हालांकि, परीक्षा की तिथि आगे बढ़ने से कुछ छात्रों की तैयारी की रणनीति में बदलाव आया है, लेकिन अधिकांश इसे एक सकारात्मक विकास के रूप में देख रहे हैं। इस फैसले का “छात्रों पर प्रभाव” दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक होने की उम्मीद है, क्योंकि यह व्यवस्था में उनके विश्वास को पुनर्स्थापित करेगा। यह सामाजिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि छात्रों के हितों की अनदेखी नहीं की जा सकती।
दूरगामी परिणाम और आगे की दिशा
“नीट पीजी 2025 स्थगन” का यह निर्णय केवल एक परीक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। यह अन्य राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं के आयोजकों पर भी एक समान, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणाली अपनाने का दबाव डालेगा। “परीक्षा प्रणाली में सुधार” की यह पहल देश की शिक्षा नीति को और अधिक छात्र-केंद्रित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
निष्कर्षतः, सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप और एनबीई द्वारा उसका अनुपालन स्वागत योग्य है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भविष्य में सभी महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाएं इसी प्रकार की निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ आयोजित हों, ताकि योग्य प्रतिभाओं को सही अवसर मिल सके और देश की चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बनी रहे।