चेन्नई: तमिल फिल्म उद्योग के लिए शुक्रवार का दिन एक अत्यंत दुखद समाचार लेकर आया। अपनी विशिष्ट कहानी कहने की शैली के लिए पहचाने जाने वाले प्रतिभाशाली निर्देशक विक्रम सुगुमारन का मात्र 48 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके इस असामयिक निधन से पूरे कॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है और उनके प्रशंसक व सहयोगी गहरे सदमे में हैं।
विक्रम सुगुमारन: एक संक्षिप्त सिनेमेटिक यात्रा
विक्रम सुगुमारन ने अपनी निर्देशकीय पारी की शुरुआत वर्ष 2013 में फिल्म ‘माध यानई कूट्टम’ (Madha Yaanai Koottam) से की थी। इस फिल्म ने न केवल समीक्षकों की प्रशंसा बटोरी, बल्कि दर्शकों के बीच भी अपनी एक खास जगह बनाई। अपनी पहली ही फिल्म से विक्रम ने यह साबित कर दिया था कि उनमें यथार्थवादी और प्रभावी सिनेमा रचने की अद्भुत क्षमता है। उनकी कहानी कहने का तरीका, पात्रों का चित्रण और ग्रामीण पृष्ठभूमि को पर्दे पर जीवंत करने की कला ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई।
फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने से पहले, विक्रम सुगुमारन ने सिनेमा की बारीकियों को समझने के लिए कड़ा संघर्ष और महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया था। उन्होंने प्रतिष्ठित और अनुभवी निर्देशक बालू महेंद्रा के सहायक के तौर पर काम किया, जहां उन्हें फिल्म निर्माण के हर पहलू को करीब से जानने का मौका मिला। इसके अतिरिक्त, उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक वेत्रिमारन के साथ भी सहायक निर्देशक के रूप में कार्य किया, जिससे उनकी सिनेमाई दृष्टि और परिपक्व हुई। इन दिग्गजों के सान्निध्य में रहकर उन्होंने जो सीखा, उसकी झलक उनके काम में स्पष्ट दिखाई देती थी।
‘रावणा कोट्टम’ और अधूरी परियोजनाएं
‘माध यानई कूट्टम’ की सफलता के बाद, विक्रम ने 2023 में ‘रावणा कोट्टम’ (Raavana Kottam) नामक फिल्म का निर्देशन किया। हालांकि इस फिल्म को मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिलीं, लेकिन इसने उनकी अनूठी शैली को एक बार फिर प्रदर्शित किया। सूत्रों के अनुसार, विक्रम सुगुमारन अपनी अगली फिल्म परियोजना पर भी काम कर रहे थे, जिसमें लोकप्रिय अभिनेता सूरी मुख्य भूमिका में थे। उनके निधन से यह परियोजना अब अधूरी रह गई है, और एक और सशक्त कहानी शायद अब पर्दे पर कभी न आ सके।
सिनेमा जगत में शोक और संवेदनाएं
विक्रम सुगुमारन के आकस्मिक निधन की खबर फैलते ही तमिल फिल्म उद्योग के अनेक कलाकारों, निर्देशकों और तकनीशियनों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। कई लोगों ने उनके साथ बिताए पलों को याद किया और उनकी प्रतिभा को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह क्षति न केवल उनके परिवार और मित्रों के लिए, बल्कि तमिल सिनेमा के लिए भी अपूरणीय है, जिसने एक उभरते हुए और প্রতিশ্রুতিশীল (promising) निर्देशक को खो दिया है।
उनका जाना इस बात की भी याद दिलाता है कि फिल्म उद्योग में सफलता के पीछे कितना समर्पण, कड़ी मेहनत और रचनात्मक दबाव होता है। कम उम्र में इस तरह की प्रतिभा का चले जाना निश्चित रूप से एक खालीपन छोड़ गया है।
एक निर्देशक का दृष्टिकोण: समाज और सिनेमा
विक्रम सुगुमारन का काम, हालांकि सीमित था, फिर भी यह दर्शाता था कि सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज का दर्पण भी है। उनकी फिल्मों में अक्सर सामाजिक ताने-बाने, मानवीय भावनाओं और जमीनी हकीकतों का चित्रण होता था। एक निर्देशक के रूप में, वे उन कहानियों को कहने का साहस रखते थे जो आम तौर पर मुख्यधारा के सिनेमा में उपेक्षित रह जाती हैं। उनका योगदान, भले ही छोटा हो, तमिल सिनेमा की विविधता को समृद्ध करने वाला था।
विक्रम सुगुमारन भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्में और सिनेमा के प्रति उनका जुनून हमेशा याद किया जाएगा। उनकी विरासत उनके काम के माध्यम से जीवित रहेगी और युवा फिल्मकारों को प्रेरित करती रहेगी।