Tuesday, June 24, 2025
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    China की ‘फंगस तस्करी’ कोविड से भी बदतर

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    अमेरिका और चीन के बीच तनाव एक नए और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। अमेरिका के एक प्रमुख चीन विशेषज्ञ ने हाल ही में पकड़े गए ‘फंगस तस्करी’ के एक मामले को कोविड-19 महामारी से भी “बदतर” बताया है। उन्होंने अमेरिकी सरकार से चीन के साथ सभी संबंध तत्काल तोड़ने की मांग की है, जिससे भू-राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। यह मामला अब सिर्फ एक तस्करी का नहीं, बल्कि एक संभावित बायोसिक्योरिटी खतरे का रूप ले चुका है।

    Biosecurity पर सबसे बड़ी चेतावनी: क्या फंगस तस्करी एक जैविक हमला है?

    वाशिंगटन: चीन पर अपनी मुखर और आलोचनात्मक टिप्पणियों के लिए जाने जाने वाले विशेषज्ञ गॉर्डन चांग ने एक सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने अमेरिका में एक चीनी नागरिक द्वारा कथित तौर पर अज्ञात फंगस और मोल्ड की शीशियों की तस्करी के प्रयास को एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बताया है। चांग के अनुसार, यह घटना एक और महामारी की शुरुआत हो सकती है, जो जानबूझकर फैलाई जा सकती है।

    यह चेतावनी उस समय आई है जब दुनिया अभी भी कोविड-19 के प्रभावों से जूझ रही है और उसकी उत्पत्ति को लेकर चीन पर सवाल उठ रहे हैं। इस नए मामले ने दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई को और गहरा कर दिया है।

    क्या है यह पूरा मामला?

    इस मामले की शुरुआत तब हुई जब CBP अधिकारियों ने चीन के नागरिक हाएगुआंग वांग को रोका और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की। वांग पर आरोप है कि वह अपने सामान में अज्ञात फंगस और मोल्ड युक्त कई शीशियां छिपाकर अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहा था।

    मामले की गंभीरता को देखते हुए, इसे तुरंत एफबीआई (FBI) को सौंप दिया गया। जांचकर्ता अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इन जैविक पदार्थों की प्रकृति क्या है और इन्हें अमेरिका लाने के पीछे का असली मकसद क्या था। यह घटना किसी सामान्य तस्करी जैसी नहीं लग रही है।

    गॉर्डन चांग का दावा: यह कोविड से भी बदतर क्यों?

    गॉर्डन चांग ने इस घटना को कोविड-19 से भी अधिक खतरनाक बताया है। उनके तर्क का आधार यह है कि कोविड की उत्पत्ति पर अभी भी बहस जारी है, लेकिन यह मामला एक संभावित “जानबूझकर किए गए कृत्य” की ओर इशारा करता है।

    चांग का मानना है कि यह चीन द्वारा अमेरिका की बायोसिक्योरिटी और प्रतिक्रिया तंत्र को परखने का एक प्रयास हो सकता है। उनके अनुसार, अगर कोई देश जानबूझकर रोगजनक (Pathogen) फैलाने की कोशिश कर रहा है, तो यह एक जैविक युद्ध (Biowarfare) की श्रेणी में आता है। यह एक अनियंत्रित महामारी से कहीं अधिक भयावह स्थिति है।

    चीन पर लगे गंभीर आरोप और बड़ी मांग

    इस घटना के बाद, गॉर्डन चांग ने अमेरिकी सरकार से एक असाधारण कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को चीन के साथ सभी राजनयिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध तुरंत समाप्त कर देने चाहिए।

    उनका कहना है कि जब तक यह स्पष्ट नहीं हो जाता कि चीन अमेरिका की धरती पर जैविक एजेंट नहीं भेज रहा है, तब तक कोई भी रिश्ता रखना राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा। यह मांग अमेरिका-चीन संबंधों में अब तक के सबसे निचले स्तर का प्रतीक है। हालांकि, विशेषज्ञ इस तरह के कठोर कदम के वैश्विक आर्थिक परिणामों को लेकर भी चिंतित हैं।

    क्या यह सिर्फ तस्करी है या बड़ी साजिश का हिस्सा?

    अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां इस मामले को कई एंगल से देख रही हैं। एक संभावना यह है कि यह किसी निजी लैब या शोधकर्ता के लिए अवैध रूप से सैंपल लाने का मामला हो सकता है। हालांकि, इसकी प्रकृति और इसे छिपाने का तरीका एक बड़ी साजिश की ओर भी संकेत करता है।

    कोविड-19 के बाद दुनिया भर में बायोसिक्योरिटी प्रोटोकॉल बेहद सख्त हो गए हैं। ऐसे में, इस तरह की तस्करी का पकड़ा जाना यह दिखाता है कि जैविक खतरों का जोखिम कितना वास्तविक है। जांच पूरी होने तक इसे केवल तस्करी मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

    वैश्विक बायोसिक्योरिटी पर गहराते सवाल

    यह घटना केवल अमेरिका या चीन तक सीमित नहीं है। यह पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है। यह सवाल उठाती है कि क्या अंतरराष्ट्रीय सीमाएं खतरनाक रोगजनकों के अवैध परिवहन को रोकने के लिए पर्याप्त रूप से सुरक्षित हैं?

    साथ ही, यह विभिन्न देशों में स्थित बायो-लैब्स की सुरक्षा और पारदर्शिता पर भी ध्यान खींचती है। अगर कोई खतरनाक वायरस या फंगस गलत हाथों में पड़ जाए, तो इसके परिणाम अकल्पनीय हो सकते हैं। यह घटना वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा ढांचे में मौजूद कमजोरियों को उजागर करती है।

    भारत के लिए इसके क्या मायने हैं?

    भारत, जिसका चीन के साथ एक लंबा और तनावपूर्ण सीमा विवाद रहा है, के लिए यह खबर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। भारत को भी अपनी बायोसिक्योरिटी और सीमा निगरानी को और मजबूत करने की आवश्यकता है।

    गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी अपने चरम पर है। ऐसे में, किसी भी तरह के जैविक खतरे की आशंका को गंभीरता से लेना होगा। भारतीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं और सीमाओं पर निगरानी तंत्र को अत्याधुनिक बनाना एक राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को समय रहते रोका जा सके।

    निष्कर्ष: अविश्वास के दौर में एक खतरनाक मोड़

    हाएगुआंग वांग का मामला सिर्फ एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह दो महाशक्तियों के बीच बढ़ते अविश्वास और पैरानोया का प्रतीक है। गॉर्डन चांग की चेतावनी भले ही कठोर लगे, लेकिन यह उस डर को दर्शाती है जो कोविड-19 ने पूरी दुनिया के मन में पैदा कर दिया है।

    इस मामले की जांच के नतीजे जो भी हों, एक बात स्पष्ट है: 21वीं सदी में युद्ध केवल मिसाइलों और टैंकों से नहीं, बल्कि अदृश्य वायरस और फंगस से भी लड़े जा सकते हैं। इसलिए, वैश्विक बायोसिक्योरिटी को मजबूत करना अब किसी भी देश के लिए एक विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता है।

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