सोहम पारेख फ्रॉड: एक साथ 5 नौकरियां, IIT-ian टेकी का कच्चा चिट्ठा
अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में एक भारतीय टेकी की कहानी चर्चा में है। यह कहानी प्रतिभा की नहीं, बल्कि एक बड़े धोखे की है। सोहम पारेख फ्रॉड केस ने सबको हैरान कर दिया है। सोहम पर आरोप है कि वह एक ही समय में कई अमेरिकी स्टार्टअप्स में काम कर रहे थे। वास्तव में, यह मामला सामान्य ‘मूनलाइटिंग’ से कहीं ज्यादा गंभीर है। उनकी पूरी धोखाधड़ी का पर्दाफाश उनके सीवी (CV) से हुआ।
यह मामला सिर्फ एक साथ कई नौकरियां करने का नहीं है। बल्कि, यह एक सुनियोजित घोटाले की तरफ इशारा करता है। सोहम ने बड़ी चालाकी से कंपनियों को धोखे में रखा। इसके अलावा, उन्होंने एक ही समय में कई कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर काम किया। यह घटना अब टेक जगत में एक बड़ी चेतावनी बन गई है।
क्या है पूरा सोहम पारेख फ्रॉड मामला?
इस पूरे मामले का खुलासा एक वेंचर कैपिटलिस्ट (VC) ने किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर सोहम पारेख का सीवी पोस्ट कर दिया। यह सीवी आग की तरह फैल गया। इसमें साफ दिख रहा था कि सोहम एक ही समय पर कई कंपनियों के कर्मचारी थे। उन्होंने अलग-अलग कंपनियों में खुद को फाउंडिंग इंजीनियर और इंजीनियरिंग हेड जैसे पदों पर दिखाया।
इस खुलासे के बाद हड़कंप मच गया। कई स्टार्टअप्स ने आंतरिक जांच शुरू कर दी। जांच में पता चला कि सोहम ने बेहद शातिर तरीके से इस धोखे को अंजाम दिया। हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि मूनलाइटिंग का मामला सामने आया हो। लेकिन इस केस का स्तर बिल्कुल अलग और चौंकाने वाला है।
सीवी से हुआ चौंकाने वाला खुलासा
सोहम पारेख का सीवी ही उनके खिलाफ सबसे बड़ा सबूत है। सीवी में लिखी तारीखें एक-दूसरे से टकरा रही थीं। इससे यह साफ हो गया कि वह एक साथ कई कंपनियों को अपनी सेवाएं दे रहे थे। यह एक बड़ी धोखाधड़ी थी।
एक ही समय में कई बड़ी भूमिकाएं
सीवी के अनुसार, सोहम ने कई स्टार्टअप्स में एक साथ काम किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने एक कंपनी में खुद को फाउंडिंग इंजीनियर बताया। उसी समय, वह दूसरी कंपनी में इंजीनियरिंग के हेड थे। इसके अलावा, तीसरी कंपनी में भी वह एक अहम भूमिका में थे। यह सब कुछ एक ही समय पर हो रहा था।
कंपनियों को इस बात की कोई भनक नहीं थी। इस कारण, हर कंपनी उन्हें पूरा वेतन और अन्य लाभ दे रही थी। यह न केवल अनैतिक था, बल्कि कानूनी रूप से भी एक अपराध है। अंततः, उनके इसी लालच ने उन्हें बेनकाब कर दिया।
काम करने का तरीका: धोखे का एक जटिल जाल
अब सवाल उठता है कि उन्होंने यह सब कैसे किया? रिपोर्ट के मुताबिक, सोहम बहुत चालाक थे। वह अपना काम दूसरों को सौंप देते थे। यदि कोई मीटिंग होती, तो वह समय का बहाना बना देते थे। वह अक्सर कहते थे कि वह अलग टाइम जोन में हैं।
इसके अलावा, कुछ लोगों का आरोप है कि वह प्रॉक्सी का इस्तेमाल करते थे। मतलब, उनकी जगह कोई और काम करता था। इन सभी तरीकों से वह एक साथ कई कंपनियों को धोखा देने में सफल रहे। लेकिन वास्तव में, यह जाल ज्यादा दिन तक नहीं चल सका।
IIT से कनेक्शन और ऊँचा प्रोफाइल
सोहम पारेख की प्रोफाइल काफी मजबूत थी। उन्होंने प्रतिष्ठित IIT-खड़गपुर से पढ़ाई की थी। इसी कारण, उन्हें अच्छी कंपनियों से नौकरी के ऑफर आसानी से मिल जाते थे। उनकी अकादमिक पृष्ठभूमि ने कंपनियों का भरोसा जीतने में मदद की।
हालांकि, उन्होंने अपनी प्रतिभा का गलत फायदा उठाया। बजाय एक कुशल इंजीनियर के रूप में अपना जीवन जीने के, वे धोखाधड़ी में लिप्त हो गए। यह घटना साबित करती है कि किसी की शैक्षणिक योग्यता उसके चरित्र को नहीं दर्शाती। सोहम ने अपनी शिक्षा और प्रोफाइल का दुरुपयोग किया।
‘मूनलाइटिंग’ पर एक बड़ी चेतावनी
सोहम पारेख का यह केस मूनलाइटिंग पर एक गंभीर बहस छेड़ता है। मूनलाइटिंग का मतलब है एक नौकरी के साथ दूसरी जगह काम करना। लेकिन सोहम का मामला इससे कहीं आगे का है। यह एक संगठित धोखाधड़ी है। यहाँ मूनलाइटिंग के बारे में विस्तार से जानें।
इसलिए, यह घटना सभी कंपनियों के लिए एक चेतावनी है। उन्हें कर्मचारियों की भर्ती करते समय अधिक सतर्क रहना होगा। बैकग्राउंड वेरिफिकेशन को और मजबूत बनाना होगा। यह मामला उन लोगों के लिए भी एक सबक है जो शॉर्टकट से पैसा कमाना चाहते हैं।
अंततः, इस तरह की धोखाधड़ी का परिणाम हमेशा बुरा होता है। सोहम पारेख की साख पूरी तरह खत्म हो चुकी है। अब उनके लिए किसी भी प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी पाना लगभग नामुमकिन होगा। इस मामले की पूरी रिपोर्ट आप हिंदुस्तान टाइम्स पर पढ़ सकते हैं।