ढाका। बांग्लादेश से एक बेहद चिंताजनक खबर सामने आई है। बांग्लादेश में टैगोर के घर को निशाना बनाया गया है। यह घटना सिराजगंज जिले में स्थित उनके पैतृक आवास पर हुई। कुछ अज्ञात उपद्रवियों ने इस ऐतिहासिक धरोहर में तोड़फोड़ की है। गुरुदेव के पैतृक आवास में बना संग्रहालय अब अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। इस हमले ने सांस्कृतिक और साहित्यिक जगत में गहरी चिंता पैदा कर दी है। यह रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़ी एक महत्वपूर्ण वैश्विक विरासत है।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना सिराजगंज के शहजादपुर उप-जिले में हुई। यहीं पर कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर का पैतृक आवास ‘कुथिबारी’ स्थित है। इसे अब एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उपद्रवियों की एक भीड़ ने इस पर हमला किया। उन्होंने संग्रहालय की एक खिड़की का शीशा तोड़ दिया। यह हमला सांस्कृतिक विरासत पर एक सीधा प्रहार है।
इसके बाद, प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की। संग्रहालय की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। साथ ही, आम लोगों के लिए प्रवेश फिलहाल रोक दिया गया है। यह फैसला सुरक्षा कारणों और जांच को देखते हुए लिया गया है।
प्रशासन ने उठाया सख्त कदम, जांच के लिए कमेटी गठित
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन हरकत में आ गया है। इस घटना की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी हमले के कारणों और दोषियों का पता लगाएगी। शहजादपुर के सहायक आयुक्त (भूमि) को इसका प्रमुख बनाया गया है। कमेटी को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
संग्रहालय के संरक्षक ने इस संबंध में एक मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली है। दोषियों की पहचान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आसपास के इलाकों में लगे सीसीटीवी फुटेज की भी जांच हो रही है। प्रशासन का कहना है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। नतीजतन, इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
इस ऐतिहासिक धरोहर का क्या है महत्व?
सिराजगंज स्थित यह पैतृक आवास टैगोर के जीवन का एक अहम हिस्सा था। उन्होंने अपने जीवन का एक लंबा समय यहां बिताया था। यह वही जगह है जहां उन्होंने अपनी कई प्रसिद्ध रचनाएं लिखी थीं। इसलिए, यह स्थान साहित्यिक और ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।
गुरुदेव ने यहां ‘सोनार तोरी’, ‘वैष्णव कविता’, और ‘पुरस्कार’ जैसी कई कृतियों की रचना की थी। यह भवन उनकी रचनात्मक ऊर्जा का साक्षी रहा है। बांग्लादेश सरकार ने इसे एक संरक्षित स्मारक घोषित किया हुआ है। यहां हर साल हजारों पर्यटक और साहित्य प्रेमी आते हैं। हालांकि, इस हमले ने इसकी सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सांस्कृतिक जगत में घटना की निंदा
इस हमले की खबर फैलते ही चौतरफा निंदा हो रही है। भारत और बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों ने इसे बर्बरतापूर्ण कार्य बताया है। उन्होंने सरकार से धरोहर की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं दोनों देशों की साझा संस्कृति पर हमला हैं।
इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भी लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। वे दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। यह घटना याद दिलाती है कि सांस्कृतिक विरासतों को सुरक्षित रखना कितना जरूरी है। प्रशासन पर अब इस मामले में ठोस कार्रवाई करने का भारी दबाव है। पूरी दुनिया की नजरें अब इस जांच पर टिकी हुई हैं।