नई दिल्ली: मध्य पूर्व में तनाव आज अपने चरम पर पहुँच गया। इजरायल ने ईरान के खिलाफ एक बड़ी सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया है। यह हमला सीधे तौर पर ईरान के प्रमुख सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर किया गया। इस घटना ने पूरे विश्व में चिंता की एक नई लहर पैदा कर दी है। यह इजरायल-ईरान संघर्ष में अब तक का सबसे बड़ा और सीधा टकराव माना जा रहा है। ईरान ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उसने गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी है।
इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच दशकों से चला आ रहा छद्म युद्ध अब एक खुले संघर्ष में बदलता दिख रहा है। वैश्विक शक्तियाँ स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। साथ ही, वे दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील कर रही हैं।
हमले का निशाना बने ईरान के प्रमुख ठिकाने
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, इजरायली हवाई हमलों का मुख्य केंद्र इस्फ़हान प्रांत था। यह क्षेत्र ईरान के परमाणु कार्यक्रम के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहीं पर ईरान का यूरेनियम संवर्धन संयंत्र भी स्थित है। ईरानी सरकारी मीडिया ने इस्फ़हान के पास कई धमाकों की पुष्टि की है। हालांकि, उसने किसी बड़े नुकसान की बात से इनकार किया है।
इस्फ़हान और नतांज़ में धमाकों की खबर
स्थानीय सूत्रों ने बताया कि इस्फ़हान एयरबेस और नतांज़ के पास के इलाकों में जोरदार धमाके सुने गए। नतांज़ ईरान का सबसे बड़ा और सबसे सुरक्षित परमाणु संयंत्र है। इसके अलावा, कुछ रिपोर्ट्स में ड्रोन निर्माण से जुड़ी सुविधाओं को भी निशाना बनाए जाने का दावा किया गया है। इजरायली सेना ने इस ऑपरेशन पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। यह उनकी पुरानी नीति का हिस्सा है। वे ऐसे संवेदनशील अभियानों पर चुप्पी साधे रहते हैं।
इजरायल ने क्यों उठाया यह कदम?
यह हमला अचानक नहीं हुआ है। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से इजरायल-ईरान संघर्ष लगातार बढ़ रहा था। इजरायली खुफिया एजेंसियों को ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर ठोस जानकारी मिली थी। उन्हें शक था कि ईरान परमाणु बम बनाने के बहुत करीब पहुँच गया है।
परमाणु कार्यक्रम को रोकने की कोशिश?
विश्लेषकों का मानना है कि यह हमला ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने की एक हताश कोशिश हो सकती है। इजरायल लंबे समय से कहता आ रहा है कि वह ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु शक्ति नहीं बनने देगा। उसे डर है कि परमाणु संपन्न ईरान उसके अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा। इसके अलावा, ईरान द्वारा अपने प्रॉक्सी समूहों जैसे हिजबुल्लाह और हमास को समर्थन देना भी इजरायल के लिए चिंता का विषय था। यह हमला उन प्रॉक्सी समूहों को एक कड़ा संदेश देने का प्रयास भी हो सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: दुनिया भर में चिंता की लहर
इजरायल के इस कदम ने वैश्विक स्तर पर एक बड़ी हलचल पैदा कर दी है। अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय देशों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। सभी ने स्थिति को और बिगड़ने से रोकने की बात कही है।
अमेरिका और यूरोप की संयम बरतने की अपील
व्हाइट हाउस ने एक संक्षिप्त बयान जारी किया है। उसने कहा कि वह स्थिति की निगरानी कर रहा है। अमेरिका ने सभी पक्षों से तनाव कम करने की अपील की। वहीं, यूरोपीय संघ ने इस हमले को क्षेत्रीय शांति के लिए एक गंभीर खतरा बताया। ब्रिटेन और फ्रांस ने भी तत्काल डी-एस्केलेशन का आह्वान किया है। दूसरी ओर, रूस और चीन ने इजरायली कार्रवाई की आलोचना की है। उन्होंने इसे ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है।
क्या होगा ईरान का अगला कदम?
अब पूरी दुनिया की निगाहें ईरान के अगले कदम पर टिकी हैं। ईरान के सर्वोच्च नेता के कार्यालय ने कहा है कि “दुश्मन को उसके अपराध की सजा जरूर मिलेगी।” ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने भी जवाबी कार्रवाई की कसम खाई है। ईरान के पास बदला लेने के कई विकल्प मौजूद हैं।
वह सीधे इजरायल पर मिसाइलें दाग सकता है। या फिर वह लेबनान में हिजबुल्लाह या यमन में हूतियों जैसे अपने सहयोगियों के माध्यम से हमला कर सकता है। होर्मुज जलडमरूमध्य में जहाजों को निशाना बनाना भी एक विकल्प हो सकता है। यह दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण तेल मार्ग है। ईरान का कोई भी कदम इस क्षेत्र को एक बड़े युद्ध में धकेल सकता है।
इस हमले का वैश्विक असर
इस सैन्य टकराव का असर सिर्फ मध्य पूर्व तक सीमित नहीं रहेगा। इसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ेगा। हमले की खबर आते ही वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मच गई।
तेल बाजार और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
कच्चे तेल की कीमतों में तुरंत 5% से ज्यादा का उछाल देखा गया। ब्रेंट क्रूड का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुँच गया। अगर यह तनाव बढ़ता है, तो तेल की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। इससे भारत समेत दुनिया भर के देशों में महंगाई बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। इसके अलावा, वैश्विक सप्लाई चेन भी बाधित हो सकती है। यह हमला विश्व अर्थव्यवस्था के लिए एक नया संकट लेकर आया है। विशेषज्ञ चिंतित हैं कि यह संघर्ष वैश्विक मंदी को और गहरा कर सकता है। आने वाले दिन यह तय करेंगे कि यह क्षेत्र शांति की ओर बढ़ता है या एक विनाशकारी युद्ध की ओर।