राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस 2025: जानें क्यों मनाया जाता है यह खास दिन
भारत में प्रतिवर्ष 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण दिन है, जो हमारे जीवन में डॉक्टरों की भूमिका को उजागर करता है। वास्तव में, यह दिवस चिकित्सकों के निःस्वार्थ सेवा और समर्पण को सम्मानित करने का एक अवसर है। यह आयोजन देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सकों में से एक डॉ. बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि देने के लिए होता है।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य समाज में डॉक्टरों के योगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इसके अलावा, यह दिन हमें उन स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है जो दिन-रात हमारी सेवा करते हैं। डॉ. बिधान चंद्र रॉय का जीवन और कार्य आज भी चिकित्सा जगत के लिए एक मिसाल है। इसलिए उनका सम्मान इस दिन को और भी खास बना देता है।
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का इतिहास और शुरुआत
भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाने की परंपरा बहुत पुरानी नहीं है। इसकी शुरुआत भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) द्वारा साल 1991 में की गई थी। यह तारीख डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में चुनी गई थी। दरअसल, 1 जुलाई को ही उनका जन्म हुआ था और इसी तारीख को उनका निधन भी हुआ था।
इस कारण, यह दिन उनके जीवन और विरासत को याद करने का प्रतीक बन गया। डॉ. रॉय केवल एक चिकित्सक ही नहीं, बल्कि एक महान स्वतंत्रता सेनानी और दूरदर्शी नेता भी थे। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति समाज के कई क्षेत्रों में योगदान दे सकता है।
कौन थे डॉ. बिधान चंद्र रॉय?
डॉ. बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना में हुआ था। वे एक असाधारण प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने भारत और विदेश में चिकित्सा की उच्चतम शिक्षा प्राप्त की थी। हालांकि, वे केवल एक डॉक्टर बनकर नहीं रहे, बल्कि उन्होंने देश सेवा को अपना परम कर्तव्य माना।
वे महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी और एक समर्पित स्वतंत्रता सेनानी थे। इसके अलावा, डॉ. रॉय पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी बने। उन्होंने अपने कार्यकाल में राज्य के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उदाहरण के लिए, उन्होंने कई बड़े चिकित्सा संस्थानों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।
चिकित्सा जगत में उनका योगदान
डॉ. रॉय का मानना था कि एक स्वस्थ नागरिक ही एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। इसी सोच के साथ उन्होंने देश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का काम किया। उन्होंने यादवपुर टी.बी. अस्पताल और चित्तरंजन सेवा सदन जैसे संस्थानों की नींव रखी। यदि आज भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली कुछ क्षेत्रों में मजबूत है, तो इसका श्रेय डॉ. रॉय जैसे दूरदर्शी लोगों को जाता है। अंततः, चिकित्सा में उनके अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें 1961 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
इस दिन का वर्तमान महत्व और उद्देश्य
आज के समय में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का महत्व और भी बढ़ गया है। यह दिन हमें डॉक्टरों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने का अवसर देता है। वे अक्सर लंबे समय तक काम करते हैं और भारी दबाव में रहते हैं। लेकिन वास्तव में, उनका एकमात्र लक्ष्य मरीजों की जान बचाना होता है।
यह दिन सिर्फ डॉक्टरों को धन्यवाद कहने का नहीं है। बल्कि यह स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर नीतियों और सुविधाओं की वकालत करने का भी दिन है। यह दिन भविष्य के डॉक्टरों, विशेषकर एमबीबीएस और नीट-यूजी की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए एक बड़ी प्रेरणा है।
यह आयोजन उन युवाओं को प्रेरित करता है जो चिकित्सा के पेशे में अपना करियर बनाना चाहते हैं। इसके अलावा, अधिक जानकारी के लिए छात्र और पेशेवर भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की आधिकारिक वेबसाइट देख सकते हैं, जो इस क्षेत्र में मानक तय करती है। अंततः, यह दिन हमें याद दिलाता है कि चिकित्सक हमारे समाज के असली नायक हैं।